“सीएम साय का बयान: धारा 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास, कांग्रेस का विरोध लोकतंत्र के खिलाफ”

रायपुर :  जम्मू-कश्मीर विधानसभा में गुरुवार को धारा 370 को हटाए जाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे भाजपा विधायकों को मार्शल द्वारा बाहर किए जाने पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह कभी अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाएगी। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और 35 ए को हटाए जाने के बाद से राज्य में बड़ा परिवर्तन आया है और वहां की जनता को अब शांति और खुशहाली का अनुभव हो रहा है।

विष्णु देव साय ने कहा कि धारा 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है, वहीं नागरिकों की मृत्यु में 80 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। पर्यटन के क्षेत्र में भी भारी वृद्धि देखी गई है, जहां विदेशी नागरिकों की संख्या में 300 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर का बजट शत-प्रतिशत बढ़ा है और आतंकवाद अब सिर्फ दो-तीन जिलों तक सीमित रह गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने 80,000 करोड़ का विशेष पैकेज प्रदान किया है और जम्मू-कश्मीर में 56,000 करोड़ का निवेश हुआ है, जो धारा 370 और 35 ए हटाने के बाद संभव हो पाया है।

मुख्यमंत्री ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि उनका यह कदम राज्य के विकास और शांति को बाधित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि यह विकास जम्मू-कश्मीर के लिए आवश्यक था और इससे राज्य में स्थिरता आई है।

साथ ही, मुख्यमंत्री साय ने विधानसभा में भाजपा विधायकों को मार्शल द्वारा बाहर किए जाने को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस तरह का व्यवहार लोकतंत्र का अपमान है और देश की जनता इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के घटनाक्रमों से केवल राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को ही नुकसान पहुंचता है, और भाजपा हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करती रहेगी।

यह बयान जम्मू-कश्मीर के विकास और वहां की स्थिति में सुधार को लेकर मुख्यमंत्री की स्पष्ट विचारधारा को दर्शाता है, जिसमें उनका जोर विकासात्मक दृष्टिकोण और शांतिपूर्ण माहौल पर है, जो उन्होंने धारा 370 के हटाए जाने के बाद देखा है।