“अमित शाह के बयान पर सीएम साय का समर्थन, कांग्रेस पर बाबासाहेब का अपमान करने का आरोप”

रायपुर :  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर पर दिए गए बयान के बाद सियासी माहौल गर्म हो गया है। शाह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस, टीएमसी, सपा, बसपा, आप और शिवसेना (उद्धव गुट) जैसे विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि शाह ने अंबेडकर का अपमान किया। हालांकि, इन आरोपों के जवाब में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को कठघरे में खड़ा किया, विशेष रूप से कांग्रेस को बाबासाहेब के खिलाफ सियासी विद्वेष रखने वाला बताया।

सीएम साय ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ पर पोस्ट करके आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा डॉ. अंबेडकर का अपमान किया है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में बार-बार संशोधन कर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर किया, साथ ही आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार किया।” उन्होंने यह भी तर्क किया कि कांग्रेस के नेतृत्व में ही अंबेडकर जी को भारत रत्न से वंचित रखा गया, और खुद अंबेडकर को 1951-52 में पहले आम चुनाव में कांग्रेस से हारने के बाद नेहरू के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था।

सीएम साय ने कहा कि कांग्रेस जितना भी प्रयास कर ले, वह यह तथ्य नकार नहीं सकती कि उसके शासनकाल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के खिलाफ कई भयानक हत्याकांड हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि लंबे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने एससी और एसटी समुदायों के सशक्तिकरण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, और यह बताता है कि कांग्रेस की असल स्थिति बाबासाहेब के विचारों और उनके योगदान के प्रति नफरत और उपेक्षापूर्ण रही है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बाबासाहेब के प्रति कांग्रेस के रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए यह भी कहा कि अब जबकि अंबेडकर का नाम एक राजनीतिक फैशन बन चुका है, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल उनका नाम अपने फायदे के लिए ले रहे हैं। उनका आरोप था कि कांग्रेस ने हमेशा बाबा साहेब के योगदान को नजरअंदाज किया और उनका वास्तविक सम्मान कभी नहीं किया।

गृह मंत्री अमित शाह के संसद में दिए बयान के बाद, विपक्ष ने शाह पर कटाक्ष करते हुए बयान जारी किया और उन पर अंबेडकर के नाम का अपमान करने का आरोप लगाया। शाह ने अपनी बातों में कहा था कि अंबेडकर का नाम इस समय इतना प्रचारित हो गया है कि यदि लोग भगवान का नाम लेते, तो उन्हें सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। यह बयान विपक्ष के लिए आपत्तिजनक साबित हुआ और राजनीतिक माहौल में उबाल आ गया।

इन घटनाक्रमों ने डॉ. अंबेडकर के योगदान और उनके सम्मान की राजनीति को फिर से प्रमुखता से उभार दिया है, जिससे देशभर में संविधान और बाबासाहेब के प्रति राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण और उनकी सोच को लेकर नई बहस छिड़ गई है।