मुख्यमंत्री साय ने वसुधैव कुटुंबकम और राष्ट्रभक्ति की भावना से युवाओं को किया प्रेरित
रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर प्रवास के दौरान ग्राम कंगोली में आयोजित श्री वेदमाता गायत्री महाविद्यालय के भूमिपूजन समारोह में सनातन परंपराओं और शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी देश की सुदृढ़ता उसकी मजबूत नींव में निहित है, और भारत की नींव उसकी सनातन परंपराओं में गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सनातन परंपराओं से प्राप्त संस्कार युवाओं को सन्मार्ग पर चलने और राष्ट्रप्रेम की भावना से प्रेरित करते हैं।
गायत्री मंत्र की महत्ता और सनातन परंपराएं
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में गायत्री मंत्र को सनातन परंपरा का आधार बताते हुए कहा कि यह मंत्र मानव को श्रेष्ठ कर्म और सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से युवा पीढ़ी में संस्कार, देशभक्ति और समाज सेवा की भावना विकसित करना आवश्यक है।
प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकास
मुख्यमंत्री साय ने राज्य सरकार की शिक्षा-नीति और प्रयासों पर बात की। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में IIT और IIM जैसे उच्च स्तरीय शैक्षिक संस्थान स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य भर में 341 पीएम श्री स्कूलों की स्थापना की गई है, जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली में बनाए गए यूथ हॉस्टल और अन्य पहलुओं का उल्लेख करते हुए नई शिक्षा नीति को युवाओं के लिए लाभप्रद बताया।
संस्थान को आर्थिक सहायता की घोषणा
मुख्यमंत्री ने विद्याभारती संस्था के विकास के लिए 50 लाख रुपये की सहायता प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने संस्था के प्रयासों की सराहना की और इसे देशभक्ति और संस्कारों का प्रचार करने वाला प्रतिष्ठान बताया। कार्यक्रम में अन्य नेताओं ने भी सहयोग की घोषणाएं कीं:
- लोकसभा सांसद भोजराज नाग ने सांसद निधि से हर वर्ष 1 करोड़ रुपये प्रदान करने का संकल्प लिया।
- जगदलपुर विधायक किरणदेव सिंह ने 10 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की।
अन्य नेताओं का योगदान और विचार
इस कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री अरूण साव, वन मंत्री केदार कश्यप, और खेल मंत्री टंकराम वर्मा ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने शिक्षा, संस्कार, और स्थानीय विकास में विद्याभारती जैसे संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
आध्यात्मिक एवं पर्यावरण संरक्षण की पहल
कार्यक्रम के दौरान, मुख्यमंत्री साय ने सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में हिस्सा लिया और प्रदेशवासियों की प्रगति व समृद्धि की प्रार्थना की। साथ ही उन्होंने प्रांगण में सागौन के पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
भविष्य की दिशा और उम्मीदें
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आज के युग में शिक्षा और संस्कार साथ-साथ चलने चाहिए। उन्होंने कहा कि वेदमाता गायत्री महाविद्यालय जैसी संस्थाएं छत्तीसगढ़ की युवा पीढ़ी को न केवल शिक्षित करेंगी बल्कि उनमें भारतीय संस्कृति और मूल्यों का भी विकास करेंगी।
इस अवसर ने यह संदेश दिया कि प्रदेश सरकार की नीतियां शिक्षा, संस्कृति, और पर्यावरण के क्षेत्र में संतुलित विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। कार्यक्रम ने बस्तर क्षेत्र में शिक्षा और संस्कृति के नवनिर्माण के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाई है।