“छत्तीसगढ़ चुनावी रण: रमन सिंह और भूपेश बघेल की सोशल मीडिया बहस ने नक्सलवाद और राजनीतिक जिम्मेदारियों पर छेड़ी नई चर्चा”

रायपुर:  छत्तीसगढ़ में आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के माहौल के बीच प्रदेश की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी का दौर जारी है। दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच प्रदेश के विकास, नीतियों और अन्य राजनीतिक मुद्दों को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है।

इस बीच, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक दिलचस्प राजनीतिक विवाद देखने को मिला। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने नक्सलवाद और कांग्रेस की नीतियों को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने एएनआई के साथ बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि “कांग्रेस हमेशा से नक्सलियों की मदद करके वोट हासिल करने की राजनीति करती आई है। अब जब डबल इंजन सरकार की नीतियों के तहत नक्सलवाद खत्म होने के कगार पर है, तो कांग्रेस को तकलीफ हो रही है।”

अंतिम साँस तक मैं छत्तीसगढ़ महतारी के पक्ष में खड़ा रहूँगा : रमन सिंह

डॉ. रमन सिंह ने इस बयान का वीडियो अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर पोस्ट किया। इसके जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार किया। भूपेश बघेल ने लिखा, “डॉ. साहब, अब आप भाजपा के मुख्यमंत्री नहीं हैं और न ही पार्टी के प्रवक्ता। आप विधानसभा अध्यक्ष हैं, और इस पद की गरिमा बनाए रखना आपका कर्तव्य है। व्यक्तिगत रूप से कुछ न लें, लेकिन जो हुआ, वह आपकी ही पार्टी ने किया है। अब आपसे अपेक्षा है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी का समान रूप से संरक्षण करें।”

यह ट्वीट दोनों दलों के समर्थकों और नेताओं के बीच बहस का केंद्र बन गया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना आगामी चुनावों की तीव्रता और दोनों दलों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है। साथ ही, यह स्पष्ट करता है कि चुनावी दौर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स कितने प्रभावी माध्यम बन गए हैं।

डॉ. रमन सिंह और भूपेश बघेल के इस संवाद ने न केवल राजनीतिक मंचों बल्कि जनमानस में भी चर्चा छेड़ दी है। इस मुद्दे ने नक्सलवाद, लोकतंत्र और राजनीतिक जिम्मेदारियों पर एक बार फिर बहस छेड़ी है। दोनों पक्षों के समर्थक अपने-अपने नेताओं के समर्थन में खड़े हैं। आने वाले दिनों में इस राजनीतिक घटनाक्रम का चुनावी रणनीतियों पर प्रभाव पड़ना तय है।