अरुण साव की नसीहत “कवासी लखमा ईडी को सच बताएं, बचने का रास्ता नहीं”

रायपुर :  पूर्व छत्तीसगढ़ आबकारी मंत्री कवासी लखमा शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दफ्तर पहुंचे, जहां उन पर लगे भ्रष्टाचार और अवैध शराब बिक्री के आरोपों की गहन जांच होनी है। ईडी का दावा है कि कवासी लखमा ने अपने कार्यकाल के दौरान अवैध शराब की बिक्री से भारी कमीशन लिया, जिसके सबूत अब जांच एजेंसी के पास मौजूद हैं।

पिछले हफ्ते कवासी लखमा को नोटिस जारी कर ईडी के सामने उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। शुक्रवार सुबह लगभग 11 बजे वे रायपुर स्थित ईडी के कार्यालय पहुंचे। दफ्तर में दाखिल होने से पहले उन्होंने अपने समर्थकों और वहां उपस्थित सभी को ‘राम-राम’ कहा, और फिर लिफ्ट से दफ्तर में चले गए। उनके चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था, लेकिन ईडी की कार्रवाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।

ईडी के आरोप

प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि कवासी लखमा ने अपने मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध शराब के कारोबार को बढ़ावा दिया और इस प्रक्रिया में मोटी रकम कमीशन के रूप में ली। ईडी ने इस मामले में वित्तीय लेनदेन और संपत्तियों से जुड़े कई दस्तावेज खंगाले हैं, जिनसे यह संकेत मिलता है कि भ्रष्टाचार का यह मामला व्यापक स्तर पर फैला हुआ था।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

मामले को लेकर राज्य के डिप्टी सीएम अरुण साव ने सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं है। जो भी तथ्य और सत्य है, कवासी लखमा को ईडी के सामने प्रस्तुत करना चाहिए। जांच निष्पक्ष होनी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके।” भाजपा नेताओं ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कवासी लखमा और उनके कार्यकाल पर सवाल खड़े किए हैं।

लखमा का पक्ष और बचाव

हालांकि कवासी लखमा और उनके समर्थकों ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि सरकार और जांच एजेंसियां उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रही हैं। लखमा ने अपने बयान में कहा कि वे कानून का पालन करेंगे और जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करेंगे।

शराब घोटाला का व्यापक प्रभाव

यह मामला न केवल एक पूर्व मंत्री पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों तक सीमित है, बल्कि यह राज्य में राजनीतिक माहौल को भी गरमा रहा है। इस घोटाले के तहत प्रदेश में अवैध शराब कारोबारियों, बिचौलियों, और राजनेताओं के बीच गठजोड़ के आरोपों की भी जांच की जा रही है।

आगे की कार्रवाई

ईडी इस मामले में आर्थिक पहलुओं, संपत्तियों और कमीशन से जुड़े वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है। कवासी लखमा से पूछताछ के बाद यह साफ हो सकता है कि उनके खिलाफ क्या और कौन-कौन से सबूत मौजूद हैं। अगर आरोप साबित होते हैं, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

यह मामला छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक ईमानदारी पर गहरी चोट करता है। आने वाले दिनों में इस घोटाले की जांच और उसके परिणामों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।