कनाडा के बाद भारत ट्रंप के निशाने पर, क्या होगी मोदी सरकार की रणनीति?
वॉशिंगटन : डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति, अपने बयान और नीतियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। उनकी व्यापारिक नीतियां और आयात शुल्क बढ़ाने की धमकियां, खासकर अमेरिका के साझेदार देशों के खिलाफ, वैश्विक व्यापार में अस्थिरता पैदा कर सकती हैं। हाल ही में ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाने की बात कही, जो न केवल भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर डाल सकती है।
भारत को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के बयान और उनकी संभावनाएं
अपने ताजा बयान में ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया कि वह अमेरिकी उत्पादों पर अत्यधिक शुल्क लगाता है। उन्होंने भारत के टैरिफ नीति की तुलना अन्य देशों जैसे कनाडा, चीन और मैक्सिको के साथ की। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100 से 200 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाता है, तो वह बदले में भारतीय उत्पादों पर समान या उससे अधिक शुल्क लगा सकते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत को इस तरह निशाने पर लिया हो। उनके पिछले कार्यकाल (2017-2021) में उन्होंने भारत को अमेरिका के विशेष व्यापार कार्यक्रम (GSP) से बाहर कर दिया था। इस कार्यक्रम के तहत भारत जैसे विकासशील देशों को अमेरिकी बाजार में कम शुल्क पर व्यापार की सुविधा दी जाती थी। ट्रंप के इस फैसले से भारतीय उत्पादकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया।
वैश्विक साझेदारों पर ट्रंप की टैरिफ नीतियां
ट्रंप का व्यापारिक दृष्टिकोण मुख्य रूप से “जैसे को तैसा” नीति पर आधारित है। उनके मुताबिक, जो देश अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचा शुल्क लगाते हैं, उन्हें अमेरिका द्वारा समान प्रतिक्रिया दी जानी चाहिए। यही कारण है कि उनके कार्यकाल में चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर भारी टैरिफ लगाया गया।
- चीन पर प्रभाव: ट्रंप ने चीन से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 25 प्रतिशत तक शुल्क लगाया। उन्होंने हाल ही में बयान दिया है कि वह इसे बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर सकते हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इन कदमों की कड़ी आलोचना करते हुए व्यापारिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है।
- कनाडा और मैक्सिको पर प्रभाव: कनाडा और मैक्सिको पर ट्रंप की टैरिफ की धमकियों ने वहां राजनीतिक उथल-पुथल मचाई। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर आर्थिक मंदी और बढ़ते विरोध का दबाव बना। मैक्सिको ने ट्रंप की नीतियों का विरोध करते हुए कहा कि इससे न केवल व्यापार प्रभावित होगा, बल्कि अमेरिकी बाजार में महंगाई भी बढ़ेगी।
भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध और नई चुनौतियां
2023-24 के आंकड़ों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 120 अरब डॉलर तक पहुंचा। जहां अमेरिका भारत के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, वहीं अमेरिका भारत से कृषि उत्पाद, ऑटोमोबाइल, टेक्स्टाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आयात करता है।
हालांकि, यदि ट्रंप भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाते हैं, तो इसका असर सीधे-सीधे दोनों देशों के व्यापार पर पड़ सकता है।
- आर्थिक नुकसान:
- भारत के टेक्सटाइल और फार्मा उद्योग, जो अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करते हैं, पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- बदले में भारत अमेरिकी उत्पादों जैसे बादाम, सेब, और अन्य वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगा सकता है।
- राजनीतिक अस्थिरता: ट्रंप की नीतियों से भारत-अमेरिका के रिश्ते में तनाव बढ़ सकता है। इससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी भी प्रभावित हो सकती है, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में।
क्या भारत के लिए यह मौका बन सकता है?
हालांकि, ट्रंप की नीतियां भारत के लिए अवसर भी पैदा कर सकती हैं। यदि अमेरिका चीन पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, तो अमेरिकी कंपनियां भारत को एक वैकल्पिक आपूर्ति बाजार के रूप में देख सकती हैं।
- फार्मास्यूटिकल और टेक्नोलॉजी सेक्टर: अमेरिकी बाजार में भारत के फार्मा उत्पादों और सॉफ्टवेयर सर्विसेज की मांग बढ़ सकती है।
- कृषि और खाद्य: अमेरिका द्वारा चीन से आयात किए जाने वाले उत्पादों के विकल्प के रूप में भारतीय उत्पाद अपना बाजार बढ़ा सकते हैं।
ट्रंप के बयानों का दीर्घकालिक प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से जुड़े बयानों ने जहां वैश्विक व्यापार को अस्थिर किया है, वहीं यह स्थिति भारत और अमेरिका के लिए नए समीकरण भी तैयार कर सकती है।
- भारत को नीतिगत कदम उठाने होंगे ताकि अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते स्थिर रहें।
- दोनों देशों को कूटनीति और सहयोग के माध्यम से व्यापारिक तनाव को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
आने वाले समय में, भारत और अमेरिका के रिश्ते वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था को कितना प्रभावित करेंगे, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों देश कैसे संतुलित और विवेकपूर्ण नीतियों को अपनाते हैं।