परेश रावल का बॉलीवुड पर बेबाक बयान: 80 और 90 के दशक की फिल्मों में हॉलीवुड की नकल, अब बदली इंडस्ट्री की तस्वीर

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता परेश रावल इन दिनों अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘हेरा फेरी 3’ को लेकर सुर्खियों में हैं। अपने शानदार अभिनय और बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के लिए पहचाने जाने वाले परेश रावल ने हाल ही में बॉलीवुड की पुरानी फिल्मों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया। सिद्धार्थ कानन के यूट्यूब चैनल पर दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने 80 और 90 के दशक की हिंदी फिल्मों के बारे में बताया कि उस दौर में फिल्ममेकर्स हॉलीवुड फिल्मों की कहानियों की नकल करके अपनी फिल्में बनाते थे।

कैसे होती थी नकल? परेश रावल ने इस पर खुलकर चर्चा की और बताया कि उस दौर में फिल्म निर्माता हॉलीवुड फिल्मों की कैसेट्स लेकर घूमते थे और कलाकारों को दिखाते थे, ताकि वे समझ सकें कि फिल्म किस तरह बनाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कहानी को हूबहू कॉपी न करके उसमें कुछ अलग-अलग हॉलीवुड फिल्मों के एलिमेंट्स जोड़ दिए जाते थे, जिससे एक नई लेकिन फिर भी नकल की हुई फिल्म बन जाती थी। यह तब तक चलता रहा, जब तक हॉलीवुड ने अपने अधिकार भारत में स्थापित नहीं किए। जब हॉलीवुड स्टूडियो भारत आए, तब भारतीय फिल्ममेकर्स को उनकी कहानियों का कॉपीराइट खरीदना पड़ा और इसी कारण फिल्म निर्माताओं को अपनी मौलिक कहानियां विकसित करने की जरूरत महसूस हुई।

बॉलीवुड में कैसे आया बदलाव? परेश रावल के अनुसार, जब भारतीय फिल्म निर्माता अपनी खुद की कहानियों पर काम करने लगे, तब बॉलीवुड ने वास्तविकता से जुड़ी और दमदार स्क्रिप्ट्स बनानी शुरू कीं। यह बदलाव केवल कहानियों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि निर्देशन, सिनेमैटोग्राफी और अभिनय में भी सुधार देखा गया। अब बॉलीवुड न केवल मौलिक कहानियों पर काम कर रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान भी बना रहा है।

परेश रावल की अपकमिंग फिल्में बॉलीवुड के इस दिग्गज कलाकार को ‘हेरा फेरी 3’ में देखने के लिए दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह फिल्म फिलहाल प्रोडक्शन स्टेज में है और रिलीज में समय लग सकता है। इस बीच, परेश रावल ‘थामा’ और ‘द ताज स्टोरी’ जैसी फिल्मों में नजर आएंगे। ‘थामा’ में उनके साथ आयुष्मान खुराना भी मुख्य भूमिका में होंगे, जिससे दर्शकों को एक बेहतरीन सिनेमाई अनुभव मिलने की उम्मीद है।

परेश रावल का यह बयान बताता है कि बॉलीवुड कैसे बदलाव के दौर से गुजरा है और अब नकल की बजाय मौलिकता और दमदार कंटेंट पर ध्यान दिया जा रहा है