ट्रंप प्रशासन की वीजा नीति पर हंगामा: एच-1बी वीजा धारकों के बच्चों को अमेरिका से बाहर जाने का आदेश
वॉशिंगटन: एच-1बी वीजा, जो अमेरिकी कंपनियों को कुशल विदेशी कर्मचारियों की नियुक्ति में मदद करता है, तकनीकी और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कर्मचारियों की बढ़ती मांग को पूरा करने का एक प्रमुख साधन रहा है। हर साल अमेरिका की तकनीकी कंपनियां, विशेष रूप से सिलिकॉन वैली में, एच-1बी वीजा के जरिए हजारों पेशेवरों को रोजगार प्रदान करती हैं। यह वीजा विशेष रूप से चीन और भारत जैसे देशों के प्रतिभाशाली लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
एच-1बी वीजा धारकों में अधिकांश लोग इंजीनियरिंग, तकनीकी, चिकित्सा, और वैज्ञानिक क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं। इस वीजा की सहायता से वे अमेरिकी कंपनियों के विकास में योगदान करते हैं और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में इस वीजा की शर्तों और नीतियों में कई बदलाव हुए हैं, विशेषकर ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल के दौरान, जिससे वीजा धारकों और उनके परिवारों के लिए कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।
21 साल के बाद बच्चों के सामने चुनौतीपूर्ण भविष्य
ट्रंप सरकार द्वारा लागू की गई नई नीतियों का प्रभाव एच-1बी वीजा धारकों के परिवारों, विशेष रूप से उनके बच्चों, पर सबसे अधिक पड़ा है। अगर वीजा धारक माता-पिता को स्थायी निवास की अनुमति देने वाला ग्रीन कार्ड नहीं मिला है, तो उनके बच्चे 21 साल का होने के बाद अमेरिका में नहीं रह सकते। इस नीति के कारण बच्चों को अमेरिका छोड़ना पड़ता है और उन्हें उस देश लौटने के लिए बाध्य किया जाता है, जिसे वे शायद ही जानते हों और जहां उनका कोई सामाजिक या भावनात्मक नेटवर्क न हो।
डेमोक्रेटिक सांसदों ने इस नीति की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह नीति इन बच्चों के साथ अन्यायपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन अमेरिका में बिताया है, वहीं शिक्षा हासिल की है और वे उसी संस्कृति के हिस्से बन गए हैं। उन्हें ऐसे देश भेजना, जो उनके लिए अनजान है, उनके भविष्य और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर गहरा असर डाल सकता है।
एच-1बी वीजा की नीतियों में बदलाव का प्रभाव
ट्रंप प्रशासन के दौरान एच-1बी वीजा नियमों में कई बदलाव किए गए, जिसमें वीजा की पात्रता और समय सीमा को लेकर सख्त मानदंड शामिल थे। इससे उन कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं के बीच असुरक्षा की भावना बढ़ी, जो वीजा नवीनीकरण और ग्रीन कार्ड पाने की प्रक्रिया के लिए पहले से ही लंबा इंतजार कर रहे थे।
वर्तमान में एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह विदेशी कुशल पेशेवरों को अमेरिकी कंपनियों के साथ काम करने का अवसर देता है और अमेरिका की तकनीकी और व्यावसायिक क्षमता को बढ़ाता है। लेकिन बदलती नीतियों के चलते न केवल वीजा धारकों का भविष्य अनिश्चित हो गया है, बल्कि इससे अमेरिका में कुशल विदेशी प्रतिभाओं की संख्या में भी गिरावट देखी गई है।
ग्रीन कार्ड और परिवारों की स्थिरता की जरूरत
विशेषज्ञों और आलोचकों का कहना है कि यदि अमेरिका को प्रतिभावान विदेशी कर्मचारियों को आकर्षित और बनाए रखना है, तो एच-1बी वीजा प्रणाली में बदलाव के साथ-साथ ग्रीन कार्ड प्रक्रिया को भी सरल और त्वरित बनाना होगा। इससे वीजा धारकों के बच्चों की स्थिति में सुधार होगा और उनके परिवारों को मानसिक और सामाजिक स्थिरता मिलेगी।
भविष्य की संभावनाएं
हाल के वर्षों में, इस समस्या को दूर करने के लिए कई प्रस्ताव और कानून पेश किए गए हैं। उम्मीद की जा रही है कि आगे की सरकारें इन मुद्दों को प्राथमिकता देंगी और वीजा धारकों और उनके बच्चों के लिए अधिक अनुकूल और समावेशी नीतियां अपनाएंगी।
एच-1बी वीजा धारकों की स्थिति सिर्फ एक तकनीकी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह मानवाधिकार, सामाजिक न्याय और अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धा से भी जुड़ा हुआ है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में इस प्रणाली को कैसे सुधारा जाता है और किस हद तक अमेरिका अपने देश को विदेशी प्रतिभाओं के लिए अधिक आकर्षक बना पाता है।