“स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति अधिकारों की पहचान: भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व कार्ड वितरण की ऐतिहासिक शुरुआत”

महासमुंद:  स्वामित्व योजना के तहत भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति अधिकारों को बेहतर तरीके से चिन्हित और प्रबंधित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। इसके तहत, नई और अत्याधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग कर गांवों में संपत्ति मालिकों की जमीन और घरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है, ताकि प्रत्येक संपत्ति का स्पष्ट और आधिकारिक रिकॉर्ड तैयार किया जा सके। इस सर्वे के माध्यम से न केवल संपत्ति के स्वामित्व की पुष्टि हो रही है, बल्कि यह ग्रामीण इलाकों में सार्वजनिक वितरण प्रणालियों की सुचिता को भी बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।

स्वामित्व कार्ड वितरण की प्रक्रिया एक ऐतिहासिक पहल के रूप में सामने आई है, जो गांवों में संपत्ति के अधिकारों को तकनीकी और कानूनी स्वीकृति प्रदान करने में सहायक है। 11 अक्टूबर 2020 को इस योजना का पहला सेट वर्चुअली वितरित किया गया था और अब तक लगभग 3.17 लाख गांवों का सर्वे पूरा किया जा चुका है, जो कि लक्षित 92% गांवों को कवर करता है। इसमें अब तक 1.53 लाख से अधिक गांवों के लिए लगभग 2.25 करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किए गए हैं।

स्वामित्व योजना का लक्ष्य 2026 तक देश भर के सभी गांवों में संपत्ति रिकॉर्ड की यह प्रक्रिया पूरी करना है। इसके तहत विशेष रूप से लक्षद्वीप, लद्दाख, दिल्ली, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के गांवों के संपत्ति सर्वेक्षण और मैपिंग भी की जा चुकी है। इस डिजिटल कदम से गांवों में भूमि संबंधी विवादों के निवारण में आसानी होगी और ग्रामीणों को उनके संपत्ति अधिकारों को साबित करने के लिए अधिक सम्मानजनक स्थिति मिलेगी।

यह पहल केंद्र सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के अनुरूप है, जिसमें ग्रामीण विकास और सरकारी कामकाजी प्रणालियों को डिजिटल माध्यम से अधिक पारदर्शी, कुशल और सुलभ बनाने की दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है।