ग्रीनलैंड पर डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी से मची हलचल: प्रधानमंत्री म्यूट एज ने वार्ता के संकेत दिए

कोपेनहेगन:  डेनमार्क के कोपेनहेगन में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एज और डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने ग्रीनलैंड पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विवादित टिप्पणी और उससे उपजे हालात पर अपने विचार साझा किए। इस दौरान ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत की इच्छा जताई, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि ग्रीनलैंड के लोग अमेरिकी नागरिक बनने की आकांक्षा नहीं रखते।

प्रधानमंत्री म्यूट एज ने प्रेसवार्ता में यह संकेत दिया कि द्विपक्षीय वार्ता के लिए ग्रीनलैंड का दरवाजा हमेशा खुला है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “फिलहाल डोनाल्ड ट्रंप से हमारी कोई प्रत्यक्ष बातचीत नहीं हुई है, लेकिन हम आपसी संवाद के लिए हमेशा तैयार हैं। मुझे लगता है कि दोनों पक्षों को सहयोग बढ़ाने और समझ को विकसित करने की दिशा में काम करना चाहिए।” इस बयान के बाद मीडिया और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मच गई है, क्योंकि ट्रंप पहले ही ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, जिससे यह मामला वैश्विक चर्चाओं का केंद्र बन गया है।

हालांकि, ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि उनकी प्राथमिकता उनके देश के लोगों की स्वतंत्रता और संप्रभुता है। उन्होंने कहा, “हम ग्रीनलैंड के विकास और समृद्धि के लिए हरसंभव कदम उठाने को प्रतिबद्ध हैं, लेकिन ग्रीनलैंड के लोग खुद को अमेरिकी नागरिक के रूप में नहीं देखना चाहते। हमारा ध्यान अपनी संस्कृति, परंपरा और आत्मनिर्भरता को बनाए रखने पर है।”

प्रेसवार्ता के दौरान, डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने भी इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड की संप्रभुता और उनकी सांस्कृतिक पहचान बरकरार रहेगी। फ्रेडरिकसन ने इस विचार को “बेतुका” करार दिया कि ग्रीनलैंड को खरीदा या बेचा जा सकता है। उन्होंने कहा, “ग्रीनलैंड कोई वस्तु नहीं है जिसे सौदेबाजी के तौर पर देखा जाए। ग्रीनलैंड के लोगों को अपनी पहचान और संप्रभुता पर गर्व है।”

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पिछली टिप्पणियों में ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की बात कहकर न केवल ग्रीनलैंड बल्कि पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। उनके इस प्रस्ताव को ग्रीनलैंड और डेनमार्क, दोनों ने सख्ती से खारिज कर दिया था। इसके बावजूद ट्रंप ने इसे एक “रणनीतिक कदम” के रूप में परिभाषित किया था। ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री के इस हालिया बयान ने इस मामले में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीनलैंड का यह मुद्दा रणनीतिक महत्व रखता है। ग्रीनलैंड की भौगोलिक स्थिति और इसके प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न इलाकों के कारण अमेरिका और अन्य देशों की इसमें रुचि बढ़ी है। ऐसे में ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री का यह संतुलित दृष्टिकोण, जिसमें वे वार्ता के लिए खुले हैं लेकिन संप्रभुता पर अडिग हैं, आने वाले दिनों में एक कूटनीतिक दिशा निर्धारित कर सकता है।