चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज: बांग्लादेश में हिंदू संत का मामला और कानूनी चुनौतियां
ढाका : बांग्लादेश में सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका को चिटगांव की एक अदालत ने खारिज कर दिया है। गुरुवार को हुई सुनवाई में चिटगांव मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने लगभग 30 मिनट तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और जमानत याचिका अस्वीकार कर दी। इस मामले में मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मोफिजुर हक भुइयां ने अदालत को बताया कि दास की जमानत याचिका को स्वीकार करने का कोई वैध आधार नहीं है।
चिन्मय कृष्ण दास के वकीलों ने घोषणा की है कि वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। वकीलों की टीम के प्रमुख अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि वे सुनिश्चित करेंगे कि कानूनी प्रक्रिया के सभी प्रावधानों का पालन हो। कोर्ट परिसर में भारी पुलिस सुरक्षा के बीच यह सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के 11 वकील मौजूद थे। वे सुबह 10:15 बजे अदालत पहुंचे और दो मिनी बसों में बैठकर 11:40 बजे कोर्ट परिसर से रवाना हुए।
मामले की पृष्ठभूमि
चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पहले भी कई बार अदालतों में खारिज हो चुकी है। इससे पहले 11 दिसंबर को उनकी प्रारंभिक जमानत याचिका को प्रक्रिया में खामियों के चलते अस्वीकार किया गया था। वकील की उपस्थिति और वैध पावर ऑफ अटॉर्नी की कमी को इस अस्वीकृति का कारण बताया गया।
3 दिसंबर की सुनवाई में, दास के वकील सुभाशीष शर्मा ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए अदालत में शामिल होने से मना कर दिया था, जिससे मामला और जटिल हो गया। इसके बाद, अदालत ने दास की जमानत याचिका पर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था।
सुरक्षा चिंताएं और बढ़ती जटिलताएं
चिन्मय कृष्ण दास का मामला बांग्लादेश में बेहद संवेदनशील बन चुका है। अदालत परिसर और उसकी गतिविधियों को लेकर पहले ही कड़ी सुरक्षा प्रबंध किए जा चुके हैं। यह मामला हिंदू समुदाय के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दों पर भी प्रकाश डालता है, जो बांग्लादेश के सामाजिक ताने-बाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वकीलों का अगला कदम
अपूर्व कुमार भट्टाचार्य के अनुसार, अब वकीलों की टीम हाईकोर्ट में अपील दाखिल करेगी। उनका कहना है कि न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए वे अपने मुवक्किल के कानूनी अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करेंगे। वकीलों ने दावा किया है कि वे अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए हर संभव कानूनी उपाय अपनाएंगे।
इस उच्च-प्रोफ़ाइल मामले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। धार्मिक नेताओं और मानवाधिकार संगठनों ने भी इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। चिन्मय कृष्ण दास और उनके वकीलों का अगला कदम क्या होगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।