बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार, देवकीनंदन ने हिंदुओं की सुरक्षा के लिए UN को लिखा पत्र

वाराणसी:  कथावाचक देवकीनंदन ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों और अत्याचारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को पत्र लिखकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। गुरुवार को लिखे गए इस पत्र में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले पर संज्ञान लेने और प्रभावी कदम उठाने की अपील की है।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार
देवकीनंदन ने पत्र में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा का विस्तृत वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि किस तरह मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, पुजारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है, और हिंदू महिलाओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ रहे हैं। साथ ही, लूटपाट और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं भी निरंतर बढ़ रही हैं। उन्होंने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में प्रस्तुत करते हुए संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाया है।

हिंदू राष्ट्र की स्थापना की मांग
पत्र में देवकीनंदन ने यह भी कहा है कि यदि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहती है, तो संयुक्त राष्ट्र को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि बांग्लादेश का विभाजन कर वहां एक अलग हिंदू राष्ट्र की स्थापना होनी चाहिए, जहां हिंदू समुदाय अपनी संस्कृति, परंपराओं और धर्म के साथ सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सके। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बांग्लादेश के निर्माण में हिंदू समुदाय का ऐतिहासिक योगदान रहा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

गौमांस पर प्रतिबंध की वकालत
इसके अलावा, असम में बीफ पाबंदी के सवाल पर उन्होंने पूरे भारत में गोमांस पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि गाय को सनातन धर्म में मां का स्थान दिया गया है, और इसका मांस खाना, बेचना या खरीदना सनातन परंपरा के खिलाफ है। उन्होंने भारतीय समाज में गौमाता को सम्मान देने की संस्कृति को पूरे देश में अपनाने की जरूरत पर बल दिया।

संयुक्त राष्ट्र से उम्मीदें
देवकीनंदन ने संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि वह इस समस्या को गंभीरता से ले और हिंदू समुदाय को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि संयुक्त राष्ट्र इस मामले में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के लिए एक सुरक्षित और स्थायी समाधान खोजेगा।

बयान का व्यापक प्रभाव
देवकीनंदन के इस पत्र और बयानों ने धार्मिक समुदायों के बीच एक नई बहस छेड़ दी है। उनके समर्थक इसे हिंदू समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक साहसिक कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ विशेषज्ञ इसे राजनीतिक और सामाजिक संवेदनशीलता का मुद्दा बता रहे हैं।

इस प्रकार, देवकीनंदन का यह प्रयास न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू समुदाय के अधिकारों को उजागर करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर इस संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा को भी प्रेरित करता है।