काशी में देव दीपावली की भव्यता: 51,000 दीपों से लिखा जायेगा “बंटोगे तो कटोगे” का संदेश
बनारस, जिसे काशी या वाराणसी भी कहा जाता है, हर साल देव दीपावली के भव्य महोत्सव का साक्षी बनता है, जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहराई को दर्शाता है। इस पर्व पर गंगा नदी के घाटों पर हजारों दीप जलाए जाते हैं, जो पूरे क्षेत्र को अद्भुत प्रकाश और दिव्यता से भर देते हैं। इस बार का देव दीपावली उत्सव और भी खास होने जा रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रसिद्ध नारा “बंटोगे तो कटोगे” एक विशेष अंदाज में प्रदर्शित किया जाएगा।
काशी के बबुआ पांडेय घाट पर 51,000 दीपों के जरिए इस नारे को लिखा जाएगा, जो एकता और भाईचारे का संदेश देगा। इस अनूठे आयोजन के लिए स्थानीय निवासी और आयोजक पूरी तैयारी में जुटे हुए हैं। काशी के निवासी सुनील उपाध्याय ने बताया कि यह न केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी है। उन्होंने कहा, “हम इस आयोजन के माध्यम से सनातन धर्म के मूल्यों को उजागर करना चाहते हैं। देव दीपावली का पर्व हमारे लिए बहुत खास है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता काशी की धरती पर आते हैं। उनके स्वागत में हम घाटों पर दीप जलाते हैं और पूरे शहर को रोशनी से सजाते हैं।”
इस बार काशी के 84 घाटों पर करीब 17 लाख दीयों को जलाकर रोशन किया जाएगा। हर घाट पर अलग-अलग विषयों और संदेशों को दर्शाने की कोशिश की जाएगी। खास बात यह है कि इस बार घाटों पर जलाए जाने वाले दीये महिला सशक्तिकरण को समर्पित होंगे। इसके साथ ही, काशी के घाटों पर हाल ही में दिवंगत हुए उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी।
दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा गंगा द्वार और चेत सिंह घाट पर लेजर शो और आतिशबाजी का आयोजन होगा, जो पूरे कार्यक्रम में आधुनिकता का रंग भर देगा। घाटों पर बहने वाली गंगा की लहरें इन सभी रोशनी और शोभा से और भी मनमोहक हो जाएंगी।
देव दीपावली, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव की राक्षस त्रिपुरासुर पर विजय का प्रतीक है। इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को पड़ रही है, और इस विशेष दिन पर लाखों श्रद्धालु और पर्यटक वाराणसी पहुंचने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार पिछले साल की तुलना में 20% अधिक पर्यटकों के आने की संभावना है। देव दीपावली केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह बनारस की सांस्कृतिक धरोहर और समाज को एकजुट करने का माध्यम भी है। काशी के घाटों पर जलते दीये न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि विश्वभर से आने वाले सैलानियों के लिए भारतीय परंपराओं और विविधताओं का जीवंत उदाहरण भी पेश करते हैं।