बम्बई उच्च न्यायालय ने नवाब मलिक के खिलाफ ध्यानदेव वानखेड़े के मानहानि मुकदमे में अपना फैसला सुरक्षित रखा
बम्बई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ ध्यानदेव वानखेड़े के मानहानि मुकदमे में अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
सुनवाई के दौरान ध्यानदेव ने 28 दस्तावेजों के साथ एक हलफनामा दायर कर यह साबित किया कि उनका नाम दाऊद नहीं है, जैसा कि मंत्री ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया था। उनके वकील ने कहा कि ऐसे कई मोबाइल ऐप हैं, जिनका उपयोग चित्रों और सोशल मीडिया चैट में छेड़छाड करने के लिए आसानी से किया जा सकता है।
ध्यानदेव स्वापक नियंत्रण ब्यूरो के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के पिता हैं। दूसरी ओर, मलिक के वकील ने कहा कि उनके दस्तावेज़ सार्वजनिक वेबसाइटों और सोशल मीडिया से लिए गए हैं।
मलिक ने ट्वीट किया था कि समीर वानखेड़े जन्म से मुसलमान हैं लेकिन उन्होंने अनुसूचित जाति का सदस्य होने का दावा करते हुए केंद्र सरकार की नौकरी हासिल की।