तिरुपति लड्डू में चर्बी की मिलावट के आरोपों पर हंगामा, प्रह्लाद जोशी ने किया विस्तृत जांच का ऐलान!

नई दिल्ली :  तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डुओं में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने के आरोपों ने देशभर में श्रद्धालुओं के बीच हड़कंप मचा दिया है। इस विवाद के केंद्र में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू का बयान है, जिसमें उन्होंने पिछली सरकार पर तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं में घटिया सामग्री और पशु चर्बी के इस्तेमाल का आरोप लगाया। उनके इस आरोप ने न केवल धार्मिक आस्थाओं को झकझोरा है, बल्कि राजनीतिक माहौल को भी गरमा दिया है।

केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार को एक विस्तृत और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर इन आरोपों में सच्चाई पाई जाती है, तो दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को न केवल खाद्य सुरक्षा बल्कि धार्मिक संवेदनशीलता से जुड़ा मामला बताया। वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन के अवसर पर उन्होंने कहा, “आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा लगाए गए आरोप गंभीर हैं और इनकी गहनता से जांच होनी चाहिए। दोषी पाए जाने वालों को सख्त सजा दी जाएगी।”

इस मामले ने तिरुपति मंदिर के श्रद्धालुओं में गहरा रोष और चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि तिरुपति का लड्डू न केवल एक प्रसाद के रूप में, बल्कि धार्मिक आस्था और परंपरा का प्रतीक भी है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यदि इन आरोपों में सच्चाई पाई जाती है, तो यह उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ धोखा होगा।

इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि यह मामला सिर्फ एक खाद्य घोटाले का नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के खिलाफ साजिश का भी हो सकता है। उन्होंने कहा, “सीबीआई को यह भी जांच करनी चाहिए कि क्या यह एक संगठित प्रयास था हिंदू धर्म को बदनाम करने का। दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।” गिरिराज सिंह ने कहा कि वाईएसआर सरकार के शासनकाल में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की गतिविधियाँ चलाई गई थीं और इस घटना को भी उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

इस विवाद का एक और पहलू राजनीतिक भी है, क्योंकि नायडू द्वारा यह आरोप वाईएसआर कांग्रेस की पिछली सरकार के कार्यकाल पर लगाए गए हैं, जो वर्तमान में राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी है। इस आरोप के बाद वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने नायडू पर पलटवार करते हुए कहा कि यह सब राजनीति का हिस्सा है और तिरुपति मंदिर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए इस तरह के झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने नायडू से अपने आरोपों को साबित करने या माफी मांगने की मांग की है।

इस विवाद के बीच, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने भी इन आरोपों को खारिज किया है। टीटीडी के एक अधिकारी ने कहा कि लड्डू की तैयारी में उपयोग की जाने वाली हर सामग्री उच्चतम गुणवत्ता की होती है और उनकी कई चरणों में जांच होती है। उन्होंने कहा, “हम अपने श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास के साथ कोई समझौता नहीं करते हैं। यह पूरी तरह से निराधार आरोप है और हम कानूनी कार्रवाई पर भी विचार कर रहे हैं।”

इस पूरे घटनाक्रम ने धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक हलकों में गहरा असर छोड़ा है। तिरुपति लड्डू, जिसे आधिकारिक तौर पर ‘जीआई टैग’ भी प्राप्त है, अब एक बड़ी जांच के घेरे में है। श्रद्धालुओं का कहना है कि यदि इन आरोपों में सच्चाई पाई जाती है, तो यह सिर्फ एक धार्मिक प्रसाद का मामला नहीं रहेगा, बल्कि इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ माना जाएगा।

अब इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया और जांच के नतीजे का इंतजार है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह मामला आगे क्या मोड़ लेता है और किस प्रकार इस विवाद का निपटारा किया जाता है, क्योंकि इससे न केवल राजनीतिक माहौल पर, बल्कि लोगों की धार्मिक आस्था पर भी गहरा असर पड़ सकता है।