“रायपुर में बीजेपी दफ्तर के बाहर बीएड धारी सहायक शिक्षकों का हंगामा, शासन के आदेश के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन”
रायपुर : सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग में नया विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार द्वारा बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) वाले सहायक शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का आदेश जारी किया गया है, जिससे बड़ी संख्या में सहायक शिक्षक आक्रोशित हो गए हैं। खास तौर पर बस्तर और सरगुजा संभाग के बीएड धारी शिक्षक इस फैसले के खिलाफ बगावत कर रहे हैं। सुबह से ही इन शिक्षकों ने कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में भारी हंगामा किया और स्पष्ट किया कि जब तक सरकार अपना निर्णय वापस नहीं लेती, वे धरने पर बैठे रहेंगे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार ने 2855 सहायक शिक्षक पदों पर योग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। हालांकि, इस चयन प्रक्रिया का हिस्सा बनते हुए बीएड धारी शिक्षकों की सेवाओं को समाप्त करने का आदेश शिक्षा विभाग ने जारी किया है। इन शिक्षकों के मुताबिक, यह कदम उनके करियर को समाप्त करने जैसा है और वे इसे अपनी पात्रता के साथ अन्याय मान रहे हैं।
बीएड धारी शिक्षक यह तर्क दे रहे हैं कि वे लंबे समय से अपने काम में लगे हुए हैं और उनके पास सिखाने की अनुभव की पूरी ताकत है, और इसलिए उनकी सेवाओं को समाप्त करने का आदेश न केवल असंगत है, बल्कि उन्हें मानसिक और आर्थिक दृष्टि से प्रभावित करेगा। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश पर किए गए इस निर्णय को वे अपने अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं और इसी वजह से वे धरने पर बैठ गए हैं।
इस बीच, राज्य के शिक्षा विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से यह कहा गया है कि डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया को उच्च प्राथमिकता पर शुरू किया जाएगा, जैसे कि उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाए। ऐसे में यह विवाद और भी गंभीर हो गया है क्योंकि शिक्षक संघों की ओर से आंदोलन जारी रहने की संभावना जताई जा रही है।
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य में शिक्षा प्रणाली, नियुक्ति प्रक्रिया और सरकार की नीतियों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उच्च न्यायालय के निर्णय और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते जहां एक ओर सरकारी नीति की प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर संवेदनशील शिक्षकों की आपत्ति इस समय चिंता का विषय बन गई है।