राहुल गांधी का मोदी सरकार पर प्रहार: ‘एकाधिकार नीति ने छीनीं नौकरियां, बर्बाद हुए MSME’

 नई दिल्ली कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उनकी आर्थिक नीतियों ने देश के छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को बर्बाद कर दिया है। जम्मू में आयोजित ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस (AIPC) के कार्यक्रम “डोगरी धाम विद आरजी” में राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी के एकाधिकार मॉडल ने न केवल लाखों युवाओं की नौकरियों को छीन लिया, बल्कि देश की उत्पादक अर्थव्यवस्था को उपभोक्ता अर्थव्यवस्था में बदल दिया है, जिससे भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा कमजोर हो गई है।

राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी जैसी नीतियों को MSME सेक्टर पर सबसे बड़ा हमला करार दिया। उनका कहना था कि इन नीतियों ने छोटे व्यापारों की कमर तोड़ दी है और यह स्थिति न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था, बल्कि देश के समग्र विकास के लिए भी खतरा बन गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जीएसटी को सरल बनाने और बैंकिंग प्रणाली को छोटे व्यवसायों के लिए और अधिक सुलभ करने की जरूरत है, ताकि वे वित्तीय सहायता और संसाधनों तक आसानी से पहुंच सकें।

कार्यक्रम में राहुल गांधी ने छोटे व्यवसायों को सहायता देने के लिए कुछ नीतिगत सुधारों का भी प्रस्ताव रखा। उन्होंने MSME सेक्टर को पूंजी तक बेहतर पहुंच देने, निर्यात को बढ़ावा देने, और कर संबंधी बोझ को कम करने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए न केवल तकनीक और वित्त तक आसान पहुंच होनी चाहिए, बल्कि उद्योगों का निर्माण जमीनी स्तर से होना चाहिए।

राहुल गांधी ने कहा कि देश में बेरोजगारी की सबसे बड़ी समस्या रोजगार की बिगड़ी हुई संरचना है, जहां 10 में से 5 नौकरियों पर कुछ बड़े एकाधिकारों का कब्जा है। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों ने राजनीतिक व्यवस्था पर भी कब्जा कर लिया है, जिससे छोटे व्यवसाय और उद्यमी विकास के अवसरों से वंचित रह रहे हैं। राहुल गांधी का मानना है कि भारत के पास कौशल और क्षमताओं का एक बड़ा समूह है, लेकिन इसे उचित नीतियों और समर्थन के बिना विकास के रास्ते पर नहीं लाया जा सकता।

328 प्रतिभागियों से भरे इस कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि भारत को एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और MSME सेक्टर को पुनर्जीवित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह न केवल आर्थिक सुधारों से संभव है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक ढांचे में भी बदलाव की जरूरत है ताकि भारत एक बार फिर से उत्पादक और आत्मनिर्भर राष्ट्र बन सके।