प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ कोव‍िड महामारी के बाद का आर्थिक एजेंडा तय करने पर चर्चा की

नई दिल्ली :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ कोविड महामारी के बाद के विश्‍व में भारत का आर्थिक एजेंडा तय करने पर चर्चा की है। नीति आयोग ने कल इस चर्चा का आयोजन किया था। परिचर्चा में भाग लेने वाले सभी अर्थशास्‍त्री इस बात पर सहमत थे कि विकास के उच्च मानक अपेक्षा से पहले ही एक मजबूत आर्थिक सुधार के संकेत दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने अर्थशास्‍त्रियों के सुझावों की सराहना की और राष्ट्रीय विकास एजेंडा तय करने में ऐसे विचार-विमर्श के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड महामारी और उससे निपटने के प्रबंधन में लगे लोगों के लिए नयी चुनौतियों उत्‍पन्‍न हुई हैं। वित्‍तीय प्रोत्‍साहन के साथ ही सरकार ने सुधारों पर आधारित प्रोत्‍साहन देने का प्रयास किया है जो कृषि, वाणिज्यिक कोयला खनन और श्रम कानूनों में हुए ऐतिहासिक सुधारों के रूप में दिखता है। प्रधानमंत्री ने आत्‍मर्निभर भारत के लिए अपनी उस परिकल्पना का उल्‍लेख किया जिसमें भारतीय कंपनियां एक ऐसे तरीके से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हुई हैं जिसे पहले नहीं देखा गया था। उन्होंने भारत की विकास गाथा में विदेशी नि‍वेशकों के उस विश्‍वास का उल्लेख किया जिसके कारण वैश्‍विक मंदी के बावजूद भारत में अप्रैल से अक्‍टूबर के बीच प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश में 11 प्रतिशत की बढोत्‍तरी हुई है। मोदी ने नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के जरिए देश के अधिकांश सुदूरवर्ती क्षेत्रों को इंटरनेट से जोड़े जाने के बाद आर्थिक क्षमता में बढ़ोतरी होने का विश्वास व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने ढांचागत सुविधाओं का का उल्‍लेख करते हुये कहा कि सरकार राष्ट्रीय ढांचागत पाइपलाइन को विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिये प्रतिबद्ध है।

चर्चा में भाग लेने वाले अर्थशास्‍त्री इस बात से मोटे तौर पर सहमत थे कि अगले वर्ष विकास में तेजी आएगी। उन्‍होंने भारत की इस विकास दर को बनाए रखने के लिए उपाय सुझाए। अर्थशास्त्रियों ने जन स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा के क्षेत्र में निवेश के महत्व पर जोर दिया, क्‍योंकि जनशक्ति ही वि‍कास को गति देने के लिए विशेष रूप से ज्ञान आधारित अर्थव्‍यवस्‍था को आगे बढ़ा सकती है।

देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के अलावा वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, वित्‍त राज्‍य मंत्री अनुराग ठाकुर, नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष राजीव कुमार और नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अमिताभ कांत और अन्य अधिकारियों ने इस चर्चा में भाग लिया।