संसद सत्र के आखिरी दिन NCP ने दिया कांग्रेस को झटका, 2024 चुनाव तक साथ रह सकेगा विपक्ष?

नई दिल्ली. संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन विपक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नदारद रही। यही नहीं कांग्रेस समेत लगभग एक दर्जन विपक्षी दलों में स्पीकर की चाय पार्टी का भी बहिष्कार किया, हालांकि एनसीपी/टीएमसी और फारूख अब्दुल्ला इस चाय पार्टी में शामिल हुए। संसद सत्र के अंतिम दिन विपक्ष ने अडानी मामले की जेपीसी जांच की मांग लेकर तिरंगा मार्च किया। इस मार्च में विपक्ष के 20 दल शामिल हुए।

कांग्रेस चाहती थी की ये सभी दल साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार को घेरें लेकिन एनसीपी ने मंच साझा करने से इंकार कर दिया। इतना ही नहीं स्पीकर की चाय पार्टी में भी एनसीपी शामिल हुई जबकि कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया।

विपक्षी एकता दिखाने में कई दल एक साथ आ तो जाते हैं लेकिन कई मुद्दों पर उनके मतभेद भी साफ दिखाई देते हैं। एनसीपी अदानी के मुद्दे पर बार-बार एक ही बात दोहराने के खिलाफ है। इसके पहले भी एनसीपी नेता अजीत पवार ने पीएम की डिग्री मामले में विपक्ष से अलग लाइन ली थी। विपक्ष भले ही साथ दिखे लेकिन बार बार ये दरारें उनकी एकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देती हैं।

पहले भी विपक्षी एकता में दिखी है दरार

ये ऐसा पहला मौका नहीं है जब विपक्षी एकता की कलई खुलकर सामने आई हो। इससे पहले भी कई मौकों पर ये साफ नजर आ चुका है। पिछले महीने ही ममता बनर्जी ने कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए 2024 लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन से इनकार कर दिया था। ममता बनर्जी ने ऐलान किया है कि वो 2024 में कांग्रेस या लेफ्ट किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।

वहीं 2024 चुनावों को नेतृत्व करने के सपने देख रही कांग्रेस भी इसी तरह कई बार बैकफुट पर आ चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस के नेतृत्व करने के बयान पर लेफ्ट समेत तमाम विपक्षी दलों ने आड़े हाथों लिया था।