सिंगापुर में जयशंकर का बड़ा बयान: आसियान-भारत सहयोग से उभर सकती है नई वैश्विक ताकत

 सिंगापुर:   सिंगापुर में आसियान-भारत थिंक-टैंक नेटवर्क के आठवें गोलमेज सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और आसियान के बीच साझेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए व्यापक आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग की बात कही। जयशंकर ने कहा कि आसियान और भारत मिलकर वैश्विक जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा प्रतिनिधित्व करते हैं, और दोनों के बीच सहयोग समकालीन वैश्विक मुद्दों जैसे कि जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, और म्यांमार जैसे साझा क्षेत्र की राजनीतिक चुनौतियों का समाधान करने में सहायक हो सकता है।

जयशंकर ने सिंगापुर की एक दिवसीय यात्रा के दौरान इस गोलमेज सम्मेलन में बताया कि भारत और आसियान की प्रमुख जनसांख्यिकीय ताकतें न केवल एक-दूसरे की उभरती मांगों का समर्थन कर सकती हैं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख उत्पादक शक्ति बन सकती हैं। उन्होंने कहा कि ये दोनों मिलकर व्यापार, पर्यटन, गतिशीलता, और शिक्षा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं, जिससे दोनों पक्षों की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके।

भारत और आसियान के देशों के बीच बढ़ते सहयोग का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि राजनीतिक और समसामयिक चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोग आवश्यक है। जलवायु परिवर्तन के युग में खाद्य सुरक्षा और वैश्विक महामारी के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान देना अति आवश्यक है। इसी तरह, म्यांमार जैसे साझा क्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता और चुनौतियों का समाधान करने में भी भारत और आसियान का मिलकर काम करना आवश्यक है। जयशंकर ने म्यांमार के मौजूदा हालात का उदाहरण देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में मानवीय सहायता, आपदा राहत, समुद्री सुरक्षा और अन्य सुरक्षा मामलों पर सहयोग को और अधिक मजबूत किया जाना चाहिए।

जयशंकर ने भारत-आसियान साझेदारी को चौथे दशक में प्रवेश करने पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले समय में इस सहयोग के जरिए आर्थिक विकास, स्थायित्व और वैश्विक मंच पर प्रभावी उपस्थिति बनाई जा सकती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साझेदारी में द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय संबंधों के जरिए नई संभावनाएं तलाशने और उनकी दिशा में कार्य करने का अवसर मिलेगा।