छत्तीसगढ़ सरकार की ऐतिहासिक पहल: नगरीय ठोस अपशिष्ट से कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन के लिए राज्य और प्रमुख कंपनियों के बीच त्रिपक्षीय समझौता

रायपुर :  छत्तीसगढ़ ने स्वच्छ पर्यावरण और नेट जीरो एमिशन के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में एक बड़ी पहल की है। राज्य ने नगरीय ठोस अपशिष्ट से कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) उत्पादन के लिए एक ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस महत्वपूर्ण समझौते में छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण, गेल इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम और प्रदेश के छह नगर निगमों को साझेदार बनाया गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस एमओयू पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह कदम प्रदेश को स्वच्छता, ऊर्जा उत्पादन और सतत विकास में एक नई पहचान दिलाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस एमओयू से प्रदेश के लिए नई ऊर्जा समाधान पैदा होंगे और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी बढ़ेगी।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ तेजी से सतत विकास की ओर बढ़ रहा है और राज्य के समक्ष स्वच्छता, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर दृढ़ कदम उठाए जा रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत राज्य में किए गए प्रयासों को लेकर उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों में बायोगैस संयंत्र की स्थापना से शहरों को स्वच्छ और सुंदर बनाने का प्रदेश का संकल्प पूरा होगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कचरे से ऊर्जा पैदा कर वेस्ट-टू-एनेर्जी (Waste to Energy) की परिकल्पना को साकार करना है। बायोगैस से प्राप्त ऊर्जा की मदद से राज्य के ऊर्जा संकट में भी कमी आएगी।

इस योजना के तहत नगर पालिक निगम अंबिकापुर, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, राजनांदगांव और धमतरी में जैव ईंधन उत्पादन के संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इन संयंत्रों में 350 मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट और 500 मीट्रिक टन बायोमास का उपयोग बायोगैस उत्पादन में किया जाएगा। इन प्रयासों से प्रतिदिन 70 मीट्रिक टन बायोगैस का उत्पादन होने की उम्मीद है, जिससे राज्य को ऊर्जा के नए स्रोत मिलेंगे और इससे आर्थिक विकास में भी वृद्धि होगी।

इसके अलावा, परियोजना से प्रतिवर्ष लगभग 600 करोड़ रुपये का निवेश जीएआईएल और बीपीसीएल द्वारा किया जाएगा। साथ ही राज्य को इससे लगभग 6 करोड़ रुपये का जीएसटी प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के कार्यान्वयन से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही, कचरे के निपटान के लिए किए जा रहे कदमों से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी, जो कि राज्य के नेट जीरो एमिशन लक्ष्य को प्राप्त करने में मददगार साबित होगा।

उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी इस महत्वाकांक्षी परियोजना की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में यह पहल प्रदेश को स्वच्छ और सुरक्षित बनाएगी, जिससे नागरिकों की जीवन गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

यह महत्वपूर्ण समझौता केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में एक मिसाल कायम करेगा कि कैसे ठोस अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन के माध्यम से न सिर्फ पर्यावरण को बचाया जा सकता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास भी सुनिश्चित किया जा सकता है।