हिजबुल्ला को मिला नया नेता: हाशेम सफीद्दीन बने प्रमुख, नसरल्ला की मौत के बाद बढ़ी चुनौतियां
27 सितंबर को इस्राइल द्वारा बेरूत में किए गए हवाई हमले में हिजबुल्ला प्रमुख हसन नसरल्ला की मृत्यु ने पूरे संगठन को झकझोर दिया। नसरल्ला की मौत के बाद नए उत्तराधिकारी की तलाश तुरंत शुरू हो गई, और अब यह पुष्टि हो गई है कि उनके चचेरे भाई हाशेम सफीद्दीन ने संगठन की कमान संभाली है। हिजबुल्ला के 42 साल के इतिहास में यह सबसे बड़ा संकट माना जा रहा है, क्योंकि नसरल्ला ने 32 वर्षों तक इस संगठन का नेतृत्व किया था, और उनकी मृत्यु के बाद संगठन को सबसे कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
हाशेम सफीद्दीन: हिजबुल्ला के नए प्रमुख
हाशेम सफीद्दीन, हिजबुल्ला के कार्यकारी परिषद के प्रमुख, अब संगठन के नए नेता के रूप में उभरे हैं। उन्हें हिजबुल्ला के राजनीतिक मामलों का संचालन करने और जिहाद परिषद में सैन्य अभियानों का निर्देशन करने का अनुभव है। सफीद्दीन नसरल्ला के चचेरे भाई हैं और वह काली पगड़ी पहनते हैं, जो उन्हें मौलवी का दर्जा देती है। यह पगड़ी इस्लामी परंपरा के अनुसार पैगंबर मुहम्मद के वंशज होने का प्रतीक है, जिससे उन्हें धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व में गहरी स्वीकृति मिलती है।
हिजबुल्ला के सामने आने वाली चुनौतियां
हाशेम सफीद्दीन को ऐसे समय में नेतृत्व मिला है जब संगठन पर आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार का दबाव बढ़ रहा है। इस्राइल के बढ़ते हमले, क्षेत्रीय अस्थिरता, और संगठन के बढ़ते आलोचनात्मक बयानों ने इसे नए सैन्य और राजनीतिक मोर्चों पर संघर्ष करने के लिए मजबूर कर दिया है। सफीद्दीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह नसरल्ला के नक्शे कदम पर चलते हुए संगठन की एकजुटता और शक्ति को बरकरार रखें, जबकि बाहरी हमलों का मुकाबला भी करें।
अमेरिका द्वारा आतंकी घोषित
हाशेम सफीद्दीन को 2017 में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया था। उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में इस्राइल और पश्चिमी देशों के खिलाफ आक्रामक बयानों की सूची भी शामिल है। एक अंतिम संस्कार के दौरान सफीद्दीन ने इस्राइल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि “दुश्मन को रोने के लिए तैयार रहना चाहिए,” जिससे उनके कठोर रुख और आक्रामक बयानबाजी की झलक मिलती है।
नेतृत्व परिवर्तन का असर
संगठन के नए प्रमुख के रूप में हाशेम सफीद्दीन का आगमन हिजबुल्ला के लिए नए युग की शुरुआत है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि इस नेतृत्व परिवर्तन के बावजूद हिजबुल्ला की नीति और दृष्टिकोण में कोई बड़ा बदलाव नहीं आने वाला है। सफीद्दीन अपने पूर्ववर्ती की नीतियों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ संगठन के सैन्य और राजनीतिक प्रभाव को बरकरार रखने के प्रयास करेंगे।