हार्वर्ड के प्रोफेसर्स ने महाकुंभ की भव्यता और अद्वितीयता को सराहा, परंपरा और तकनीक के अद्भुत संगम पर हुई चर्चा
न्यूयॉर्क: भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का एक अनूठा संगम महाकुंभ न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में से एक भी है। इसकी भव्यता और व्यवस्थापन ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के विद्वानों और शोधकर्ताओं को आकर्षित किया है। हाल ही में न्यूयॉर्क स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और अपने अनुभव साझा किए।
“इनसाइट फ्रॉम वर्ल्ड लार्जेस्ट स्प्रिचुअल गैदरिंग – महाकुंभ” नामक इस परिचर्चा में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर पाउलो लेमन, हार्वर्ड डिविनिटी स्कूल की प्रोफेसर डायना ईसीके, बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर तरुण खन्ना और प्रोफेसर तियोना जुजुल शामिल हुए। इन विशेषज्ञों ने 2013 के महाकुंभ में अपनी भागीदारी के अनुभव साझा किए और इस भव्य आयोजन के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने इस वर्ष के महाकुंभ के आध्यात्मिक, प्रशासनिक, तकनीकी और आर्थिक पहलुओं का गहन विश्लेषण किया।
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर तरुण खन्ना ने कहा कि महाकुंभ वास्तव में परंपरा और आधुनिकता का एक अनूठा संगम है, जहाँ धर्म, प्रशासन और तकनीक एक साथ मिलकर इस विशाल आयोजन को सफल बनाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे यह महोत्सव न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि इसका अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रोफेसर खन्ना इस बात से प्रभावित हुए कि महाकुंभ में कैसे स्वच्छता और प्रशासन को कुशलता से प्रबंधित किया जाता है।
अन्य प्रोफेसरों ने भी इस बात को रेखांकित किया कि महाकुंभ सिर्फ आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है, जहाँ परंपरा और तकनीकी नवाचार का समागम देखने को मिलता है। आधुनिक तकनीक के उपयोग से सुरक्षा और प्रशासन को अत्यधिक प्रभावी बनाया गया है, जिससे लाखों श्रद्धालु बिना किसी अव्यवस्था के स्नान और पूजा कर सकते हैं। इस आयोजन से होने वाले व्यापार और पर्यटन के आर्थिक प्रभावों पर भी चर्चा की गई और इसे भारत की सांस्कृतिक एवं आर्थिक शक्ति का प्रतीक बताया गया।
कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया गया कि महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर अंतिम शाही स्नान के साथ इस बार के महाकुंभ का समापन होगा। यह आयोजन हर बार की तरह इस बार भी वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है, जहाँ न केवल धार्मिक श्रद्धालु बल्कि दुनियाभर के विद्वान और शोधकर्ता भी इसकी विस्तृत व्यवस्थाओं और सामाजिक प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं।
इस चर्चा से यह स्पष्ट होता है कि महाकुंभ सिर्फ भारतीय संस्कृति की पहचान नहीं है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भी अपनी जगह बना चुका है, जहाँ परंपरा, आध्यात्मिकता, तकनीक और आर्थिक विकास का अनोखा संगम देखने को मिलता है।