मालदीव में बढ़ता आर्थिक संकट: भारत से मिले सहायता के बावजूद हालात चिंताजनक
Maldives: मालदीव की आर्थिक स्थिति में तेजी से गिरावट आ रही है, जो कई कारकों का परिणाम है, विशेष रूप से भारतीय पर्यटकों की कमी और स्थानीय मुद्रा की स्थिरता में अस्थिरता। पिछले महीने, मालदीव को इस्लामिक बॉंड के भुगतान में देरी के कारण डिफॉल्टर होने का खतरा था। हालांकि, भारत से मिली 5 करोड़ डॉलर की ब्याज रहित ऋण सहायता ने इस संकट से उबरने में मदद की।
मालदीव की अर्थव्यवस्था, जो मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है, अब गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे आयात खर्च में वृद्धि हुई है। इस स्थिति से निपटने के लिए, मालदीव सरकार ने विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए नए नियम लागू किए हैं। अब, पर्यटन क्षेत्र और बैंकिंग संस्थानों में विदेशी मुद्रा विनिमय पर नियंत्रण अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, मौद्रिक प्राधिकरण (एमएमए) ने 1 अक्टूबर को एक नई नीति लागू की है, जिसके तहत पर्यटन उद्योग द्वारा विदेशी मुद्रा में जुटाई गई राशि को स्थानीय बैंकों में जमा करना अनिवार्य होगा। यह कदम विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर करने और आयात लागत को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
मालदीव की मौजूदा सरकार, जो ‘भारत को बाहर करने की नीति’ (इंडिया आउट कैंपेन) के तहत सत्ता में आई है, ने भारतीय पर्यटकों के आगमन में कमी की है, जिससे देश की पर्यटन अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे न केवल रोजगार के अवसर प्रभावित हुए हैं, बल्कि घरेलू अर्थव्यवस्था में भी बड़ी गिरावट आई है।
इस प्रकार, मालदीव की आर्थिक स्थिति गहराई में जा रही है, और यदि इन चुनौतियों का प्रभावी समाधान नहीं किया गया, तो देश को आगे भी गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। सरकार की नई नीतियों का उद्देश्य विदेशी मुद्रा भंडार को सुधारना और अर्थव्यवस्था को स्थिर करना है, लेकिन इसके लिए ठोस और व्यापक रणनीतियों की आवश्यकता है।