सरपंच-सचिव की मिलीभगत से पीलीकरार पंचायत में भ्रष्टाचार का बोलबाला, जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित
सीहोर | बुधनी विधानसभा के ग्राम पंचायत पीलीकरार, जिसे निर्विरोध पंचायत के नाम से जाना जाता है, अब भ्रष्टाचार के लिए चर्चित हो गई है। लाखों की सरकारी राशि आवंटित होने के बावजूद ग्रामवासी रोड, नाली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। पंचायत सचिव और सरपंच की मनमानी ने विकास कार्यों को कागजों तक सीमित कर दिया है।
ग्रामवासियों की नाराजगी: मूलभूत सुविधाओं का अभाव
-मुख्यमंत्री आवास कॉलोनी: लगभग 80 घरों वाली इस कॉलोनी में नल की पाइपलाइन डालने के बाद भी पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हुई। लोग आधा किलोमीटर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं।
गंदगी का आलम: जगह-जगह गंदा पानी और कचरा फैला है। आंगनबाड़ी केंद्र के सामने की गंदगी ने बीमारियों का खतरा बढ़ा दिया है।
-बिजली का खतरा: कॉलोनी में बिजली के तार एक ही खंभे पर लटक रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है।
भ्रष्टाचार के आरोप
– पंचायत में निर्माण सामग्री के बिल सचिव के रिश्तेदारों की दुकानों के लगे हैं।
– फर्जी बिलों से लाखों रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन सामग्री धरातल पर नजर नहीं आई।
– पानी के टैंकर का भुगतान हुआ, लेकिन टैंकर दिखाई नहीं दिया।
– आरटीआई से खुलासा हुआ कि सड़क और अन्य निर्माण कार्य ठेकेदारों के बजाय सचिव के नजदीकी रिश्तेदारों द्वारा कराए गए।
प्रशासनिक हस्तक्षेप और जांच
जिला कलेक्टर प्रवीण सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एक टीम गठित की है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामवासियों की मांग
ग्राम पंचायत के निवासियों ने सचिव और सरपंच पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगती, गांव में विकास संभव नहीं है।
आखिरी सवाल: क्या जांच के बाद भ्रष्टाचार पर नकेल कसते हुए पीलीकरार पंचायत के लोगों को उनके हक की सुविधाएं मिल सकेंगी, या यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?