“छत्तीसगढ़ में छेरछेरा उत्सव की धूम, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी शुभकामनाएं”

रायपुर :  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध लोक पर्व छेरछेरा की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। अपने संदेश में उन्होंने सभी प्रदेशवासियों के लिए सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हुए छेरछेरा पर्व को छत्तीसगढ़ की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया।

साय ने कहा कि छेरछेरा पर्व पौष पूर्णिमा के दिन नई फसल के घर आने की खुशी में पूरे छत्तीसगढ़ में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह महादान और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला पर्व है, जो हमारी सामाजिक समरसता, परस्पर सहयोग और दानशीलता की परंपरा का परिचायक है। इस दिन दान देने की प्रथा को अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन धान, साग-भाजी, फल और अन्य सामग्री का दान करने से घरों में कभी भी धन-धान्य और समृद्धि की कमी नहीं होती।

मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में छेरछेरा को केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक महान परंपरा और जीवन मूल्यों से युक्त पर्व बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व लोगों में उदारता, दूसरों के प्रति दया, और समाज में समानता का संदेश देता है। यह त्योहार समाज के सभी वर्गों को एकजुट करता है और यह दर्शाता है कि दानशीलता और परोपकार हमारे समाज का एक मजबूत आधार है।

साय ने यह भी उल्लेख किया कि छेरछेरा पर्व के दिन मां शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है, जो पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ी हुई है। इस दिन से जुड़ी कथा के अनुसार, भगवान शंकर ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। इसलिए, इस पर्व पर न केवल अन्न का दान किया जाता है, बल्कि अन्य खाद्य पदार्थ, सब्जियां, फल और अन्य आवश्यक चीजें भी जरूरतमंदों को दी जाती हैं।

मुख्यमंत्री ने इस पर्व को लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़ने और सद्भाव व दानशीलता को बढ़ावा देने का सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि छेरछेरा पर्व न केवल हमें अपनी परंपराओं और मूल्यों की याद दिलाता है, बल्कि हमें अपने समाज में संतुलन और सहयोग का महत्व समझने का अवसर भी देता है। यह त्योहार हर व्यक्ति को समाज और प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का स्मरण कराता है।

साय ने सभी से आग्रह किया कि वे इस पर्व को अपने परिवार और समाज के साथ मिल-जुलकर मनाएं और इसकी भावना को अपने जीवन में अपनाएं। उन्होंने छेरछेरा पर्व को समर्पण, उत्साह और समृद्धि का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह त्योहार हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध करता है।