रातों-रात सड़क निर्माण से श्योपुर में बवाल: ग्रामीणों ने प्रशासन पर पक्षपात का लगाया आरोप
श्योपुर: मध्य प्रदेश के श्योपुर में आगामी वीआईपी आगमन को देखते हुए प्रशासन द्वारा रातों-रात सड़क निर्माण का कार्य तेजी से किया जा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया है। जिस सड़क का निर्माण कई हफ्तों से धीमी गति से हो रहा था, उसे वीआईपी नेताओं के आगमन के कारण जल्दबाजी में रातों-रात पूरा किया जा रहा है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि प्रशासन ने यह कदम केवल नेताओं को खुश करने के लिए उठाया है, जबकि आम जनता की समस्याओं को लगातार अनदेखा किया जा रहा है।
आक्रोशित ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने सड़क को चौड़ा करने के नाम पर कई मकानों को अतिक्रमण का हवाला देकर तोड़ दिया, लेकिन कुछ मकानों को बिना तोड़े ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। इस भेदभावपूर्ण कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों में गहरा असंतोष है। विरोध इतना बढ़ गया कि एक युवक ने तो एसडीओ की गाड़ी के सामने लेटकर प्रदर्शन किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन एकतरफा निर्णय लेकर केवल उन्हीं मकानों को तोड़ रहा है, जिनके खिलाफ कोई प्रभावशाली हस्तक्षेप नहीं है, जबकि अन्य मकान सुरक्षित रह गए हैं।
विरोध कर रहे युवक और ग्रामीणों ने प्रशासन पर पक्षपात और भेदभाव का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान नियमों की अनदेखी की जा रही है, और यह सब केवल वीआईपी नेताओं के आने से पहले दिखावे के लिए किया जा रहा है। आगामी 24 अक्टूबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और अन्य गणमान्य नेता विजयपुर में चुनावी रैली और रोड शो करने वाले हैं। इस कार्यक्रम के तहत मंत्री रामनिवास रावत का नामांकन दाखिल होगा, जिसे देखते हुए प्रशासन तेजी से तैयारियों में जुटा हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन केवल वीआईपी आगमन के मद्देनजर ही सक्रिय हुआ है, जबकि आम जनता की समस्याओं को महीनों से नजरअंदाज किया जा रहा है। प्रशासन द्वारा सड़क निर्माण के दौरान किए गए भेदभाव और जबरदस्ती मकानों को तोड़ने की घटना ने जनता के बीच प्रशासन के प्रति नाराजगी को और बढ़ा दिया है। ग्रामीणों ने इस घटना पर अपना विरोध जारी रखने का संकेत दिया है, और मांग की है कि सभी मकानों के साथ समानता बरती जाए और स्थानीय निवासियों की समस्याओं को भी प्राथमिकता दी जाए।
इस घटनाक्रम ने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह मामला जल्द ही राजनीतिक रंग भी ले सकता है। जनता की नाराजगी और प्रशासन के भेदभावपूर्ण रवैये ने पूरे इलाके में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है, और सभी की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।