चागोस द्वीप विवाद: ब्रिटेन करेगा मॉरिशस को द्वीप समूह का हस्तांतरण, 50 साल पुराना विवाद सुलझने की कगार पर

चागोस द्वीप समूह विवाद का समाधान: ब्रिटेन ने आधी सदी से अधिक समय के बाद हिंद महासागर में स्थित महत्वपूर्ण चागोस द्वीप समूह को मॉरिशस को लौटाने का निर्णय किया है, जिससे दशकों से चला आ रहा एक बड़ा भू-राजनीतिक विवाद खत्म होने की ओर है। इस निर्णय के तहत ब्रिटेन और मॉरिशस के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जिसे अमेरिका समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों का समर्थन मिला है। चागोस द्वीप समूह, जिसमें 60 से अधिक छोटे द्वीप शामिल हैं, अपने रणनीतिक महत्व के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान का केंद्र रहा है, खासकर यहां स्थित ब्रिटेन और अमेरिका के सैन्य अड्डे डिएगो गार्सिया के लिए, जो वैश्विक सुरक्षा और हिंद महासागर में स्थिरता सुनिश्चित करने में एक अहम भूमिका निभाता है।

ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने इस समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे हमारे महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे की सुरक्षा बनी रहेगी, और इससे अवैध प्रवासन पर भी लगाम लगेगी। इसके साथ ही, इस समझौते ने मॉरिशस के साथ ब्रिटेन के पुराने राष्ट्रमंडलीय संबंधों को और मजबूत किया है। लैमी के अनुसार, यह समझौता न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को कम करेगा, बल्कि हिंद महासागर में सुरक्षा और स्थिरता को भी बढ़ाएगा।

चागोस द्वीप समूह का ऐतिहासिक विवाद

1960 के दशक में ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह पर कब्जा कर लिया था, और वहां के स्थानीय निवासियों, जिन्हें चागोसी कहा जाता है, को जबरन बेदखल कर दिया गया। 1968 में मॉरिशस को स्वतंत्रता तो मिल गई, लेकिन चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन का नियंत्रण बना रहा। इस क्षेत्र को मॉरिशस अपना हिस्सा मानता आया और लगातार इसे वापस मांगता रहा, जबकि ब्रिटेन ने इसे अपनी रणनीतिक सैन्य गतिविधियों के लिए संरक्षित रखा।

चागोसी समुदाय ने भी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी, और ब्रिटेन के खिलाफ कानूनी लड़ाई में उतरे ताकि वे अपनी जमीन पर लौट सकें। उन्होंने न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, का भी सहारा लिया, जहां कई बार ब्रिटेन के कब्जे को चुनौती दी गई। लेकिन इस बीच, ब्रिटेन और अमेरिका ने चागोस द्वीपों का उपयोग अपने सामरिक सैन्य ठिकानों के रूप में किया, जिससे इस विवाद का समाधान मुश्किल बना रहा।

रणनीतिक महत्व और अंतरराष्ट्रीय संबंध

डिएगो गार्सिया, जो चागोस द्वीप समूह में स्थित है, ब्रिटेन और अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य ठिकाना है, और यहां से वैश्विक सुरक्षा अभियानों का संचालन किया जाता है। इस समझौते के तहत, यह सुनिश्चित किया गया है कि इस सैन्य अड्डे की सुरक्षा और संचालन ब्रिटेन और अमेरिका के नियंत्रण में बना रहेगा, जिससे हिंद महासागर में सैन्य संतुलन और सुरक्षा बनाए रखी जा सकेगी।

यह समझौता मॉरिशस के साथ ब्रिटेन के दीर्घकालिक संबंधों को भी स्थिर करेगा, जो राष्ट्रमंडल का एक प्रमुख सदस्य है। यह न केवल भू-राजनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे चागोस के उन निवासियों के लिए न्याय की उम्मीद भी जगी है, जो वर्षों से अपने मूल स्थान पर लौटने की मांग कर रहे थे।

इस समझौते ने मॉरिशस और ब्रिटेन के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत की है, जहां दोनों देश मिलकर इस क्षेत्र की स्थिरता और विकास के लिए काम करेंगे, और चागोस द्वीप समूह को लेकर दशकों से चला आ रहा विवाद अब समाप्ति की ओर है