“रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: वैश्विक आर्थिक सहयोग और नई ताकतों का उदय”
मॉस्को: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन इस बार रूस के कजान में किया जा रहा है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत कई महत्वपूर्ण नेताओं की उपस्थिति होगी। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक अर्थव्यवस्था के बदलते परिदृश्य और उभरती आर्थिक शक्तियों के बीच सहयोग को और मजबूती प्रदान करने के लिए अहम है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ब्रिक्स को वैश्विक आर्थिक बदलावों का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह समूह आर्थिक विकास के नए केंद्रों का प्रतिनिधित्व करता है, जो वित्तीय और राजनीतिक प्रभाव लाते हैं। ब्रिक्स ने हाल के वर्षों में वैश्विक आर्थिक केंद्रों का झुकाव यूरो-अटलांटिक क्षेत्र से एशिया-प्रशांत और यूरेशिया क्षेत्रों की ओर होते देखा है।
लावरोव ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिक्स का गठन वास्तविक आर्थिक आवश्यकताओं के आधार पर हुआ है, जिसमें कृत्रिम संरचनाओं के बजाय वास्तविक परियोजनाओं और योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। ब्रिक्स समूह में अब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ नए सदस्यों जैसे मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की सदस्यता भी शामिल हो चुकी है, जिससे यह समूह विश्व की 45% जनसंख्या और 28% अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है।
रूसी विदेश मंत्री ने रूस-भारत-चीन (RIC) तिकड़ी की भूमिका का भी जिक्र किया, जो 1990 के दशक में शुरू हुई थी। उन्होंने बताया कि महामारी और अन्य कारणों से समूह की बैठकों में व्यवधान हुआ है, लेकिन त्रोइका एक स्वतंत्र प्रणाली के रूप में कायम है और इस प्रणाली का भविष्य में भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। आरआईसी के अस्तित्व के बाद ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने से यह समूह ब्रिक्स में बदल गया और अब यह एक वैश्विक शक्ति का प्रतिनिधित्व करने वाला मंच बन चुका है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की उपस्थिति विशेष रूप से चर्चा में है, क्योंकि यह दोनों नेताओं के बीच एक वर्ष के अंतराल के बाद पहली आमने-सामने की बैठक होगी। इसके अलावा, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेश्कियान और फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। शिखर सम्मेलन में आर्थिक सहयोग, व्यापार, परिवहन, संचार और नवीनतम तकनीक पर विस्तृत चर्चा की जाएगी, जिससे ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच सहयोग और मजबूत होगा।
यह सम्मेलन न केवल वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मंच है, बल्कि नए सदस्य देशों के जुड़ने से ब्रिक्स का प्रभाव और भी व्यापक होता जा रहा है।