महाकुंभ 2025: फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी बनीं महामंडलेश्वर, संत जीवन अपनाकर शुरू किया नया अध्याय

प्रयागराज :  प्रयागराज के महाकुंभ 2025 का आकर्षण इस बार सिर्फ धार्मिक आस्था और परंपरा तक सीमित नहीं है। इस बार किन्नर अखाड़े में फिल्मी दुनिया की जानी-मानी अदाकारा ममता कुलकर्णी के प्रवेश और संत जीवन की ओर उनके आध्यात्मिक यात्रा ने सभी का ध्यान खींचा है। अपने गृहस्थ जीवन का परित्याग करके ममता ने अब भगवा धारण कर संतों का जीवन अपना लिया है।

ममता कुलकर्णी, जिन्होंने बॉलीवुड में अपनी खूबसूरती और अभिनय से लंबे समय तक दर्शकों का दिल जीता, अब आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा बनी हैं। शुक्रवार को ममता ने महाकुंभ के सेक्टर 16 में स्थित किन्नर अखाड़े के शिविर में प्रवेश किया। किन्नर अखाड़े की ओर से आयोजित पवित्र विधि के तहत उन्हें “महामंडलेश्वर” का पद दिया जाएगा। इस समारोह के बाद उनका नाम आधिकारिक रूप से “श्री यामिनी ममता नंद गिरि” होगा।

पिंडदान और पट्टाभिषेक की पावन विधि

शुक्रवार को ममता कुलकर्णी ने पवित्र संगम तट पर पिंडदान किया, जो परंपरागत रूप से जीवन के सांसारिक संबंधों को त्यागने का प्रतीक माना जाता है। यह विधि दर्शाती है कि व्यक्ति अपने भौतिक जीवन के रिश्तों और जिम्मेदारियों को छोड़कर ईश्वर और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर हो रहा है।
इसके बाद सायं छह बजे ममता कुलकर्णी का पट्टाभिषेक किन्नर अखाड़े के शिविर में सम्पन्न किया गया। इस समारोह में उन्हें भगवा वस्त्र पहनाए गए और किन्नर अखाड़े के संतों ने आध्यात्मिक जीवन की प्रतिज्ञा दिलाई।

लोगों की उमड़ी भीड़ और बढ़ा उत्साह

ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़े में शामिल होने की खबर से महाकुंभ में भारी भीड़ जमा हो गई। लाखों श्रद्धालु और संत इस अनोखी घटना को देखने के लिए उत्सुक थे।
किन्नर अखाड़े के प्रमुखों ने इस अवसर को ऐतिहासिक करार दिया और ममता के आध्यात्मिक निर्णय की प्रशंसा की। ममता ने भगवा वस्त्र में अपनी मौजूदगी से यह स्पष्ट कर दिया कि अब उनकी जिंदगी का नया अध्याय शुरू हो चुका है।

ममता का आध्यात्मिक सफर और संत जीवन की दिशा

अपने अभिनय करियर के शिखर पर ममता कुलकर्णी ने कई लोकप्रिय फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन, व्यक्तिगत जीवन और आध्यात्मिक यात्रा के कारण उन्होंने फिल्मी जगत से दूरी बना ली। उनके संत बनने की यात्रा यह साबित करती है कि व्यक्ति चाहे किसी भी पृष्ठभूमि से हो, आध्यात्मिकता और ईश्वर की राह पर चलने का फैसला कभी भी किया जा सकता है।
ममता ने संत जीवन अपनाने के लिए जिस दृढ़ निश्चय का परिचय दिया, वह उनके व्यक्तित्व में हुए बड़े बदलाव को दर्शाता है।

किन्नर अखाड़ा और उसकी भूमिका

किन्नर अखाड़ा, जिसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समावेशिता का प्रतीक माना जाता है, संत परंपरा में अपनी विशेष पहचान रखता है। ममता का इस अखाड़े से जुड़ना इस बात का संकेत है कि महाकुंभ न केवल धार्मिक आस्था का स्थल है, बल्कि यह सभी के लिए एक समान आध्यात्मिक यात्रा का मंच भी प्रदान करता है।

संदेश और प्रेरणा

ममता कुलकर्णी का गृहस्थ जीवन से संन्यास लेकर संत जीवन अपनाना न केवल समाज के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाता है कि हर व्यक्ति के जीवन में एक ऐसा मोड़ आता है जब वह आत्मज्ञान और आध्यात्मिक शांति की तलाश करता है। उनकी इस आध्यात्मिक यात्रा ने महाकुंभ 2025 को और भी खास बना दिया है।

अब ममता कुलकर्णी, उर्फ “श्री यामिनी ममता नंद गिरि”, महाकुंभ में एक नई पहचान और ऊर्जा के साथ नजर आ रही हैं। उनका जीवन यात्रा समाज के हर वर्ग को यह संदेश देती है कि आध्यात्मिकता और सादगी अपनाने के लिए किसी पूर्व शर्त की आवश्यकता नहीं है।