“चुनाव में महिला मतदाताओं की बढ़त का राज़: एसबीआई रिपोर्ट का खुलासा”

 नई दिल्ली:  भारतीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें साक्षरता दर और महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या के बीच गहरा संबंध बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, साक्षरता दर में केवल 1 प्रतिशत की वृद्धि से महिला मतदाताओं की भागीदारी में 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बढ़ोतरी 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों के बीच के आंकड़ों में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 के चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या में 1.8 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है, जिसमें से 45 लाख महिलाओं की भागीदारी साक्षरता दर में बढ़ोतरी के कारण हुई है।

इस रिपोर्ट में महिला मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने वाले अन्य प्रमुख कारकों पर भी प्रकाश डाला गया है। रोजगार से संबंधित योजनाएं, जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, ने महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस योजना के सकारात्मक प्रभाव के चलते लगभग 36 लाख महिला मतदाता पहली बार मतदान प्रक्रिया में शामिल हुईं। इसके अलावा, स्वच्छता अभियान, जैसे ‘स्वच्छ भारत अभियान,’ ने भी महिलाओं के बीच मताधिकार को लेकर जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। रिपोर्ट के मुताबिक, स्वच्छता की दिशा में हुए प्रयासों ने करीब 21 लाख महिला मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि बिजली, स्वच्छ पेयजल, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का महिला मतदाताओं की मानसिकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, इन सुविधाओं का योगदान मतदाता संख्या में वृद्धि के आंकड़ों में अपेक्षाकृत कम है।

इसके अतिरिक्त, एसबीआई की रिपोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला साक्षरता के बढ़ते स्तर से न केवल उनकी राजनीतिक जागरूकता बढ़ी है, बल्कि समाज में उनकी भागीदारी और आत्मनिर्भरता की भावना को भी बल मिला है। 2024 के लोकसभा चुनाव और विभिन्न विधानसभा चुनावों में महिलाओं की बढ़ी हुई भागीदारी ने यह दिखाया है कि साक्षरता और जागरूकता बढ़ने से महिलाएं अब अपनी जिम्मेदारी को समझने लगी हैं और सक्रिय रूप से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भागीदारी कर रही हैं।

सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों ने भी इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। महिला मतदाताओं की बढ़ती संख्या यह संकेत देती है कि नीतिगत सुधार और जागरूकता अभियान कैसे नागरिकों को सशक्त बना सकते हैं। एसबीआई की यह रिपोर्ट महिलाओं के बढ़ते सशक्तिकरण और उनके मताधिकार के प्रभावशाली उपयोग का प्रमाण है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक सकारात्मक दिशा की ओर संकेत करता है, जहां महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं और अपने भविष्य को प्रभावित करने वाले निर्णयों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।