राज्योत्सव में पारंपरिक पकवानों का स्वाद, गढ़ कलेवा में छत्तीसगढ़ी व्यंजन बने आकर्षण का केंद्र

रायपुर :   नवा रायपुर में चल रहे राज्योत्सव के दूसरे दिन फूड कोर्ट में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजनों के प्रति लोगों की विशेष रुचि देखने को मिली। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ी स्वाद का प्रतीक ‘गढ़ कलेवा’ विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। छत्तीसगढ़ी व्यंजन जैसे बड़ा, फरा, चीला और भजिया राज्य की संस्कृति और पारंपरिक धरोहर का अहम हिस्सा हैं, और इनकी लोकप्रियता हर छत्तीसगढ़िया के दिल और जुबान पर बसी हुई है। राज्योत्सव में शामिल होने वाले लोग इन पारंपरिक पकवानों का आनंद लेते हुए अपने घर के स्वाद और परंपरा को महसूस कर रहे हैं।

फूड कोर्ट में परोसे जाने वाले बड़े व्यंजन, जो उड़द की दाल से बनाए जाते हैं, खासकर शादी-ब्याह और पितर पूजा जैसे पारंपरिक अवसरों पर बनाए जाने वाले पकवानों में शामिल हैं। वहीं, फरा, जो चावल के आटे से बनता है, दो रूपों में प्रस्तुत किया जाता है—पहला, मीठा फरा जिसमें गुड़ का उपयोग होता है और दूसरा, भाप में पकाया गया फरा, जिसे बघार लगाकर और अधिक स्वादिष्ट बनाया जाता है।

इसके अलावा, चीला, जो चावल के आटे से बनता है, दो प्रकार के होते हैं—मीठा और नमकीन। नमकीन चीला को चावल के आटे में नमक मिलाकर बनाया जाता है, जिसे ‘नुनहा चीला’ कहा जाता है, और मीठे चीले में गुड़ का घोल मिलाकर ‘गुरहा चीला’ बनाया जाता है। इन दोनों प्रकार के चीले का स्वाद हरी मिर्च और पताल की चटनी के साथ और अधिक बढ़ जाता है। इसी प्रकार, उड़द की पीठी या बेसन से बने भजिये का भी छत्तीसगढ़ी भोजन में विशेष स्थान है।

राज्योत्सव स्थल पर अभनपुर से आईं श्रीमती कल्याणी यादव, श्रीमती राजमती साहू, बेमेतरा की श्रीमती रानी वर्मा और श्रीमती गीता वर्मा जैसी कई महिलाएं गढ़ कलेवा में इन व्यंजनों का आनंद ले रही हैं। उन्होंने बताया कि इन छत्तीसगढ़ी पकवानों का स्वाद उन्हें अपने घर का स्वाद और छत्तीसगढ़ की पारंपरिक मिठास की याद दिला रहा है। राज्योत्सव स्थल का फूड कोर्ट उनके लिए घर जैसे भोजन का अनुभव लेकर आया है, जो उन्हें बेहद संतोषजनक और खास महसूस करवा रहा है।

इन व्यंजनों में स्थानीय मसालों का संतुलित उपयोग और पारंपरिकता की महक छत्तीसगढ़ के व्यंजनों को विशेष और स्वास्थ्यवर्धक बनाती है। छत्तीसगढ़ी व्यंजन न केवल खाने में स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि इनमें राज्य की सोंधी संस्कृति और परंपरा की झलक भी मिलती है।