“श्रीलंका में अदाणी पवन ऊर्जा परियोजना के भविष्य पर छाया असमंजस, नई सरकार ने किया पुनर्विचार”

श्रीलंका में हाल ही में सत्ता में आई अनुरा कुमारा दिसानायके की सरकार ने अदाणी समूह की पवन ऊर्जा परियोजना को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सोमवार को श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में अटॉर्नी जनरल ने स्पष्ट किया कि नई सरकार पिछली सरकार द्वारा दी गई इस परियोजना की मंजूरी पर पुनर्विचार कर रही है। यह निर्णय 7 अक्टूबर को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसमें यह तय किया गया कि परियोजना की सभी पहलुओं की समग्र समीक्षा की जाएगी।

दिसानायके ने राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपने वादों में कहा था कि उनकी नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन सत्ता में आने पर इस पवन ऊर्जा परियोजना को रद्द करने का निर्णय लेगी। उन्होंने इसे श्रीलंका के ऊर्जा क्षेत्र की संप्रभुता के लिए खतरा बताते हुए चुनावी रैलियों में इस परियोजना के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई थी। अदाणी समूह ने इस परियोजना के तहत मन्नार और पूनरी के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 484 मेगावाट पवन ऊर्जा का विकास करने के लिए 440 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई थी, जो कि एक दीर्घकालिक समझौता है।

हालांकि, यह परियोजना श्रीलंका के सर्वोच्च न्यायालय में मौलिक अधिकारों के मुकदमे का सामना कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने इस परियोजना के खिलाफ कई चिंताएँ उठाई हैं, विशेषकर पर्यावरणीय चिंताएँ। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि अदाणी ग्रीन एनर्जी को हरी झंडी देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। इसके साथ ही, उन्होंने यह तर्क दिया कि इस परियोजना के लिए सहमत टैरिफ, जो 0.0826 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोवाट घंटा है, श्रीलंका के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक है, और इसे घटाकर 0.005 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोवाट घंटा किया जाना चाहिए।

नई सरकार का अंतिम निर्णय इस परियोजना के संदर्भ में 14 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनावों के बाद नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद घोषित किया जाएगा। इस निर्णय का प्रभाव न केवल श्रीलंका के ऊर्जा क्षेत्र पर पड़ेगा, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक ऊर्जा नीतियों को भी प्रभावित कर सकता है। सरकार के इस कदम से स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल सकती हैं, और यह देखने योग्य होगा कि अदाणी समूह इस परिस्थिति में आगे क्या कदम उठाता है।