“Sadhguru Case: ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से राहत, पुलिस कार्रवाई पर रोक”

 नई दिल्ली:  सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा संचालित प्रसिद्ध ईशा फाउंडेशन हाल के समय में एक विवादित कानूनी मामले के कारण सुर्खियों में है। फाउंडेशन पर लगे गंभीर आरोपों के चलते यह मुद्दा मद्रास हाईकोर्ट तक पहुंचा, जिसमें रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने आरोप लगाया कि उनकी बेटियां, लता और गीता, को फाउंडेशन के आश्रम में जबरन बंधक बनाकर रखा गया है। प्रोफेसर कामराज की इस याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2024 को आदेश दिया कि तमिलनाडु पुलिस फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करे और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इस आदेश के बाद, अगले ही दिन 1 अक्टूबर 2024 को करीब 150 पुलिसकर्मियों ने ईशा फाउंडेशन के आश्रम में छापेमारी की और जांच शुरू की।

यह मामला कानूनी और सामाजिक स्तर पर तेजी से बढ़ा, लेकिन ईशा फाउंडेशन ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए इसे बेबुनियाद बताया। फाउंडेशन के खिलाफ इन गंभीर आरोपों और जांच के चलते सद्गुरु ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए फाउंडेशन को एक बड़ी राहत प्रदान की है।

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले को मद्रास हाईकोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि तमिलनाडु पुलिस अब हाईकोर्ट को नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट को अपनी जांच की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत आगे कोई कार्रवाई करने से भी रोक दिया है, जिससे फाउंडेशन को तत्काल राहत मिली है।

इस मामले ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा है, क्योंकि ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु की वैश्विक पहचान है। फाउंडेशन के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं, और इसमें सामाजिक, कानूनी, और आध्यात्मिक संगठनों के बीच कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद फाउंडेशन को फिलहाल कुछ राहत मिली है, लेकिन जांच का अंतिम परिणाम क्या होगा, यह देखना बाकी है।

ईशा फाउंडेशन के अनुयायियों और समर्थकों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि फाउंडेशन लंबे समय से विवादों का सामना कर रहा था। हालांकि, यह मामला अब कानूनी जटिलताओं में उलझ गया है, और आने वाले समय में कोर्ट के निर्णय इस प्रकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

फाउंडेशन के समर्थकों का कहना है कि सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन का उद्देश्य हमेशा से मानवता की सेवा और आध्यात्मिक विकास रहा है, और इस तरह के आरोप उनके कार्यों पर सवाल उठाने का प्रयास हैं। वहीं, दूसरी ओर, याचिकाकर्ता प्रोफेसर कामराज का दावा है कि उनकी बेटियों की सुरक्षा को लेकर वे गंभीर चिंताओं का सामना कर रहे हैं, और उन्होंने न्यायालय से अपनी बेटियों की रिहाई की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से फिलहाल पुलिस जांच और कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है, लेकिन इस मामले में आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे ईशा फाउंडेशन और सद्गुरु की साख और प्रतिष्ठा पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता