प्रियंका का पलटवार: खरगे के पत्र पर नड्डा की प्रतिक्रिया देख भड़कीं प्रियंका, पीएम मोदी पर साधा निशाना
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राहुल गांधी के खिलाफ की जा रही विवादित टिप्पणियों पर नाराजगी व्यक्त करने के बाद, राजनीतिक घमासान और तेज़ हो गया है। खरगे के पत्र के जवाब में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक आक्रामक प्रतिक्रिया दी, जिससे कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। इस विवाद में अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रधानमंत्री मोदी को निशाने पर लिया है।
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक मूल्यों और वरिष्ठ नेताओं के सम्मान को नजरअंदाज करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे के पत्र का सीधे जवाब न देकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से एक “आक्रामक और असम्मानजनक” पत्र भिजवाया। उन्होंने कहा कि 82 साल के वरिष्ठ नेता का इस प्रकार निरादर करना प्रधानमंत्री के पद की गरिमा के विपरीत है।
प्रियंका गांधी ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंतित होकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन प्रधानमंत्री ने खुद जवाब देने की बजाय नड्डा को जवाब देने के लिए आगे कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने पद की गरिमा का ध्यान रखते हुए खुद ही इस पत्र का सम्मानजनक जवाब देना चाहिए था।
प्रियंका गांधी ने मौजूदा राजनीतिक वातावरण पर भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज की राजनीति में ज़हर घुल चुका है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक परंपरा में सवाल पूछने और संवाद करने की जगह होनी चाहिए, लेकिन अब सत्ता में बैठे लोग इन परंपराओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों और वरिष्ठ नेताओं के सम्मान को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इस पूरे घटनाक्रम ने विपक्ष और सत्तारूढ़ पार्टी के बीच सियासी टकराव को और बढ़ा दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा राहुल गांधी के खिलाफ लगातार अपमानजनक टिप्पणियाँ कर रही है, जिससे न सिर्फ पार्टी बल्कि उनके समर्थकों के बीच भी आक्रोश है। वहीं, भाजपा का कहना है कि कांग्रेस को अपने नेताओं की विफलताओं का सामना करना चाहिए और जनता द्वारा नकारे गए नेताओं को बार-बार राजनीतिक मंच पर लाने की कोशिशें बंद करनी चाहिए।
इस सियासी बवाल के बीच, आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों दल किस तरह इस मुद्दे को आगे बढ़ाते हैं और क्या कोई बीच का रास्ता निकलता है या यह टकराव यूं ही जारी रहता है।