उपराष्ट्रपति ने कहा कि मातृभाषा सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान कायम रखने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है जिसकी रक्षा की जानी चाहिए
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने आज कहा कि भारत की भाषायी विविधता देश की प्राचीन सभ्यता की आधारशिला है। अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के अवसर पर आज शिक्षा और समाज को समावेषी बनाने के लिए बहुभाषिकता के बारे में वेबिनार को संबोधित करते हुए नायडु ने मातृभाषा के उपयोगिता की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस साल शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र लोगों में इस बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए चार दिन का वर्चुअल आयोजन कर रहे हैं। नायडु ने कहा कि भाषाएं अतीत को वर्तमान से जोड़ती हैं और वे ज्ञान का भंडार हैं। उन्होंने कहा कि मातृ भाषा सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान कायम रखने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है जिसकी रक्षा की जानी चाहिए और प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए।
नायडु ने कहा कि यह बात बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज बच्चों को ऐसी भाषाओं में शिक्षा दी जा रही है जो उनके घर में नहीं बोली जातीं और उनके लिए अनजानी हैं। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और माता-पिता से बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषा में ही दिए जाने के महत्व को स्वीकार करना चाहिए। नायडु ने कहा कि मातृ भाषा का उपयोग शासन में भी किया जाना चाहिए।