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बस्तर में कार्यकर्ताओं की अफसरशाही से नाराजगी कहीं महंगी ना पड़ जाए कांग्रेस को अपने ही गढ़ में

संपादक अनिल पुसदकर की कलम से

रायपुर। दंतेवाड़ा आज बंद रहा। कारण जो भी रहा हो उसमें प्रशासनिक असफलता साफ-साफ नजर आती है। चुनाव के ऐन पहले इस तरह शासन प्रशासन से नाराजगी का मुजाहिरा कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जा सकते। कांग्रेस को अपने ही गढ़ बस्तर में खासकर दक्षिण बस्तर में जितनी चुनौती विपक्ष से नहीं मिल रही है उससे ज्यादा चुनौती अफसरशाही से नाराजगी दे रही है। व्यापारियों के नगर बंद के बाद अब बताया जा रहा है कि युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ ही पंचों और सरपंचों की नाराजगी भी सामने आने वाली है।

दक्षिण बस्तर कांग्रेस के बेहद भरोसेमंद सूत्रों ने बताया की अफसरशाही से नाराज कांग्रेस के कार्यकर्ता राजधानी जाकर विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं। वैसे एक कलेक्टर के खिलाफ पूर्व में भी जमकर विरोध हुआ था। तब कांग्रेस के उच्च स्तरीय नेताओं के समझौते से मामला शांत हुआ था। लेकिन तब की दबी चिंगारी अब ज्वालामुखी बनकर फटने को तैयार है।

अगर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का संतोष सामने आता है तो कांग्रेस को डैमेज कंट्रोल करने में जितनी ताकत लगानी पड़ेगी उतना ही भाजपा को उसे पर हमला करने का मौका मिलेगा। अभी तक बेहद मजबूत स्थिति में समझी जाने वाली कांग्रेस अफसरशाही के जंजाल में कुलहस्ती नजर आ रही है।

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