“बांग्लादेश में इस्कॉन नेता की गिरफ्तारी पर हिंसा, चटगांव में वकील की हत्या से बढ़ा धार्मिक तनाव”
ढाका : बांग्लादेश में इस्कॉन के नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए थे। मंगलवार को चटगांव में इस्कॉन समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प के दौरान एक गंभीर घटना घटी, जिसमें सहायक लोक अभियोजक और चटगांव बार एसोसिएशन के सदस्य, अधिवक्ता सैफुल इस्लाम आरिफ (30) की हत्या कर दी गई। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ा दी, और राजनीतिक दलों और वकीलों ने सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की।
पुलिस ने इस हत्या मामले में नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी हैं। पुलिस ने बताया कि हत्या के आरोपियों की पहचान चटगांव अदालत के सीसीटीवी फुटेज से की गई है। इन आरोपियों में चंदन दास नामक व्यक्ति मुख्य आरोपी है, जो हत्या के समय वकील पर धारदार हथियार से हमला करते हुए नजर आया। वकील के पिता की शिकायत पर पुलिस ने 46 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से अधिकतर आरोपी चटगांव की सेबोक कॉलोनी के निवासी हैं, जो हिंदू समुदाय के सफाई कर्मचारी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लिए बड़ा मुद्दा बन गई थी। सोमवार को बांग्लादेश पुलिस ने उन्हें ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था, जहां वह चटगांव जाने के लिए तैयार थे। उन पर देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप लगाए गए थे। गिरफ्तारी के बाद हिंदू समुदाय के लोग ढाका की सड़कों पर उतर आए थे और विरोध प्रदर्शन किए थे। इसके बाद, बांग्लादेश पुलिस ने उन्हें जासूसी शाखा के कार्यालय में ले जाकर पूछताछ शुरू कर दी थी। चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में हिंदू समूह “सनातनी जोत” के नेता भी हैं। उनकी जमानत याचिका चटगांव की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ विरोध और प्रदर्शन और तेज हो गए थे।
इस हत्या और गिरफ्तारी के बाद, बांग्लादेश में धार्मिक तनाव बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है। कई हिंदू संगठन और राजनीतिक दलों ने इसे गंभीर धार्मिक अत्याचार करार दिया है और इस्कॉन बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी उठाई है। वहीं, वकील और अन्य सामाजिक संगठनों ने हत्यारों के खिलाफ कड़ी सजा की मांग की है और इसे न्याय प्रणाली के लिए कड़ा संदेश बताया है।
यह घटना बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति और धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठा रही है। सरकार और पुलिस विभाग के लिए यह समय है कि वह इस मामले में जल्दी और न्यायपूर्ण तरीके से कार्रवाई करें, ताकि बांग्लादेश में धार्मिक शांति और सौहार्द बना रहे।
