उन्नाव रेप केस: CRPF सुरक्षा हटाने की मांग पर कायम केंद्र, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता से मांगा स्पष्टीकरण

 नई दिल्ली :  उन्नाव रेप केस के चर्चित मामले में भाजपा से निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा काटने का आदेश है। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, जब 2017 में उन्नाव की एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता, उसके परिवार और वकीलों को सीआरपीएफ सुरक्षा देने का निर्देश दिया था। अब केंद्र सरकार ने इस सुरक्षा को हटाने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

केंद्र सरकार का तर्क है कि सुरक्षा की मौजूदा स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद, यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अब पीड़िता और उसके परिवार को खतरे का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। इस मामले को लेकर केंद्र ने एक याचिका दाखिल की है, जिसमें सीआरपीएफ सुरक्षा को समाप्त करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पीड़िता और उसके परिवार से जवाब मांगा है।

घटना का संक्षिप्त विवरण:

2017 में उन्नाव के माखी गांव में घटित इस भयानक अपराध के बाद, पूरे देश में आक्रोश फैला। भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिग लड़की का अपहरण और दुष्कर्म का आरोप लगा। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को सुरक्षा देने के आदेश दिए थे।

  • सुरक्षा व्यवस्था: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अगस्त 2019 में पीड़िता और उसके परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा दी गई थी। इसका उद्देश्य पीड़िता और उसके परिवार को किसी भी संभावित खतरे से बचाना था। इसके साथ ही, कोर्ट ने सभी पांच मामलों को लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया और उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़िता को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश भी दिया।
  • केंद्र की याचिका: केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने और सीआरपीएफ को हटाने की अनुमति देने की अपील की है। सरकार का कहना है कि पीड़िता और उसके परिवार को अब किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है, और उन्हें सीआरपीएफ की जगह दिल्ली या यूपी पुलिस की सुरक्षा दी जा सकती है।
  • सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया: न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने केंद्र की याचिका पर विचार करते हुए पीड़िता और उसके परिवार से जवाब मांगा है। न्यायाधीशों ने कहा कि अगर खतरे की आशंका नहीं है, तो इस मामले को बंद किया जा सकता है।
  • वकीलों की दलीलें: केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि खतरे का कोई ठोस आधार नहीं है, इसलिए सुरक्षा हटाई जानी चाहिए। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने भी इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि अब सभी कानूनी प्रक्रियाएं दिल्ली में पूरी हो चुकी हैं और किसी प्रकार के खतरे की संभावना नहीं है।

भविष्य की दिशा:

सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में पीड़िता और उसके परिवार के जवाब के आधार पर निर्णय लिया जाएगा कि सीआरपीएफ सुरक्षा को जारी रखा जाए या हटाया जाए। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील है। पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोपरि है, ताकि भविष्य में उन्हें किसी भी प्रकार के खतरे का सामना न करना पड़े।

इस मामले की सुनवाई और इसके परिणाम का पूरे देश में गहन ध्यान रहेगा, क्योंकि यह न्यायिक प्रणाली और पीड़ितों के अधिकारों के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।