संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में हिंसा को तत्काल समाप्त करने और नई सरकार के गठन का आह्वान किया
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में संघर्ष पर तत्काल रोक लगाने और वहां संयुक्त, समावेशी और प्रतिनिधि सरकार बनाने का आह्वान किया है। सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान में अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानूनों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की ख़बरों पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
एक प्रेस वक्तव्य में सुरक्षा परिषद ने अफगनिस्तान में हिंसा तुरन्त रोकने और सुरक्षा, नागरिक प्रशासन और संविधानिक व्यवस्था बहाल करने की अपील की है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने मौजूदा संकट को सुलझाने के लिए तत्काल बातचीत का भी आह्वान किया है। परिषद के सदस्यों ने कहा कि राष्ट्रीय आम सहमति की प्रक्रिया के जरिए अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ शांतिपूर्ण समाधान पर वार्ता होनी चाहिए।
अफगानिस्तान की स्थिति पर कल भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। यह बैठक काबुल और वहां राष्ट्रपति भवन पर तालिबान के कब्जे के एक दिन बात हुई।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बयान में बताया गया है कि सदस्य देशों ने कहा कि सभी पक्षों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का हर स्थिति में पालन करना चाहिए। आम लोगों के जीवन की सुरक्षा से जुड़े सभी अंतरराष्ट्रीय निमयों का पालन सुनिश्चित होना चाहिए। परिषद ने अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पहुंचाने के प्रयास तेज करने का भी आह्वान किया।
सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफगानिस्तान में आंतकवाद का मुकाबला करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की धरती किसी अन्य देश को डराने-धमकाने या उस पर हमला करने के लिए इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए और न ही तालिबान या अन्य किसी अफगानी संगठन या व्यक्ति को दूसरे देशों में सक्रिय आंतकवादियों को समर्थन देना चाहिए।
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन को पूरा समर्थन देने की बात दोहराते हुए सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र कर्मियों तथा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के दूतावासों में तैनात कर्मियों की सुरक्षा पर भी जोर दिया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान परिषद के महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय एकता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों का सम्मान होना चाहिए और मानवीय सहायता जारी रहनी चाहिए। गुतेरस ने कहा कि अफगानिस्तान को फिर से आंतकवाद का अड्डा नहीं बनने दिया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि गुलाम इसाक जाई ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि अफगानिस्तान को गृह युद्ध में जाने से रोके। उन्होंने कहा कि काबुल में हत्या और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं।
इसाक जाई ने कहा कि सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र को वे सभी कदम उठाने चाहिए, जिनसे अफगानिस्तान को अलग-थलग होने से बचाया जा सके। उन्होंने सदस्य देशों से अपील की कि अफगानिस्तान छोड़कर भाग रहे नागरिकों को शरण दें।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में क्षेत्रीय नेताओं की भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रूस इस प्रक्रिया में ईरान को शामिल करना चाहता है। रूसी प्रतिनिधि ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया लागू करने में शंघाई सहयोग संगठन को भी भागीदार बनाने की बात कही।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान का पडोसी और मित्र होने के नाते भारत वहां की स्थिति से चिंतित है आशा है जल्दी ही स्थिति स्थिर हो जाएगी।
तालिबान ने कल जारी एक वक्तव्य में कहा कि मौजूदा संस्थानों के साथ मिलकर काम करेंगे। तालिबान के बयान में कहा गया है प्रशासनिक कर्मचारियों का वेतन जारी रहना चाहिए, बुनियादी सुविधाएं बनी रहनी चाहिए। हवाई अड्डे फिर से खुलने चाहिए तथा शिक्षा और स्वास्थ सेवाओं में बाधा नहीं आनी चाहिए।