“वीर बाल दिवस पर गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत को नमन: राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी श्रद्धांजलि

रायपुर:  वीर बाल दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय रायपुर के पंडरी स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा पहुंचे, जहां उन्होंने दशम गुरु गोविंद सिंह जी के वीर साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की शहादत का स्मरण कर उन्हें नमन किया। इस कार्यक्रम में सिक्ख समाज के बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और इस वीर दिवस को अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया।

राज्यपाल रमेन डेका ने अपने उद्बोधन में गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों की अल्पायु में दिए गए अद्वितीय बलिदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले इन बालकों का बलिदान एक ऐसी मिसाल है, जो सदियों तक प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।” डेका ने सिक्ख समुदाय द्वारा लंगर और गुप्त दान जैसी परंपराओं की प्रशंसा करते हुए कोरोना काल में उनकी सेवा भावना को विशेष रूप से सराहा। उन्होंने बताया कि विपरीत परिस्थितियों में भी सिक्ख समाज ने अपनी निस्वार्थ सेवा के जरिए देश में एकता और करुणा की मिसाल पेश की है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की वीरता और धर्म की रक्षा में दिए गए बलिदान को याद करते हुए कहा, “इनकी वीरगाथा हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। यह आने वाली पीढ़ियों को न केवल प्रेरणा देगी बल्कि उनके भीतर धर्म, संस्कृति और कर्तव्य के प्रति आदर भी जागृत करेगी।” उन्होंने इस मौके पर घोषणा की कि छत्तीसगढ़ सरकार ने वीर साहिबजादों की वीरगाथा को राज्य के स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है।

कार्यक्रम में गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के पदाधिकारी और विधायक किरण सिंह देव ने भी संबोधित किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक दिवस पर सरकार द्वारा साहिबजादों की गाथा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय का स्वागत किया और इसे भावी पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

समारोह में राज्यपाल और मुख्यमंत्री का गुरुद्वारा समिति के पदाधिकारियों द्वारा आत्मीय स्वागत किया गया। सिक्ख समुदाय के वक्ताओं ने बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह की बहादुरी और धर्म के प्रति उनके अडिग विश्वास की प्रशंसा करते हुए उनकी याद में कई भावनात्मक प्रसंग सुनाए।

सिक्ख समाज के लिए समर्पित इस विशेष दिन पर गुरुद्वारे में बड़े पैमाने पर लंगर का आयोजन किया गया और श्रद्धालुओं ने गुरु गोविंद सिंह और उनके साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्यपाल ने इस दौरान समाज के वरिष्ठ और युवा सदस्यों से बातचीत भी की और उन्हें धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहने का आह्वान किया।

इस कार्यक्रम ने समर्पण, धर्मनिष्ठा, और बलिदान की प्रेरक गाथाओं को जन-जन तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। वीर बाल दिवस न केवल ऐतिहासिक बलिदानों को याद करने का अवसर था, बल्कि यह नई पीढ़ी के लिए मूल्यवान पाठ भी बन गया।