माटी के वीरों को नमन: जशपुर में केंद्रीय मंत्री मांडविया और मुख्यमंत्री साय ने किया ऐतिहासिक पदयात्रा का शुभारंभ

रायपुर:   जशपुर नगर में आज केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भव्य “माटी के वीर” पदयात्रा का आयोजन किया गया। इस पदयात्रा का शुभारंभ जशपुर के बालाछापर से हुआ, जहाँ से हजारों की संख्या में लोग, स्थानीय जनजातीय परंपराओं और उत्साह से भरे, इस यात्रा में शामिल हुए। यह यात्रा लगभग सात किलोमीटर लंबी थी और विभिन्न चौक, चौराहों एवं प्रमुख मार्गों से होती हुई रणजीता स्टेडियम तक पहुंची। इस यात्रा का उद्देश्य जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और देश के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देना और पूरे देश में इसके महत्व को प्रदर्शित करना था।

धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस पदयात्रा में लोगों का जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। जगह-जगह स्थानीय निवासियों ने रंगोली बनाकर और पारंपरिक कलाकृतियों के माध्यम से प्रतिभागियों का स्वागत किया। गम्हरिया चौक पर जनजातीय समुदायों के प्राचीन अस्त्र-शस्त्र और वाद्ययंत्रों की एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई थी, जिसने इस पदयात्रा के सांस्कृतिक महत्व को और भी बढ़ा दिया। इन ऐतिहासिक वस्तुओं ने समुदाय की प्राचीन धरोहर का एक समृद्ध चित्र प्रस्तुत किया, जिसने उपस्थित लोगों को जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत से जोड़ने का कार्य किया।

यात्रा के दौरान बस्तर के किलेपाल से आए कलाकारों ने अपनी नृत्य मंडली के साथ पारंपरिक “ककसार नृत्य” प्रस्तुत किया, जो पूरी यात्रा का प्रमुख आकर्षण रहा। नर्तक दलों ने ढोल-नगाड़ों की धुन पर पारंपरिक गीत और नृत्य के माध्यम से सभी का मन मोह लिया और यात्रा में जीवंतता का संचार किया। इसके साथ ही, विभिन्न समाजों और संगठनों ने पूरे रास्ते में पदयात्रा में शामिल लोगों का पुष्पवर्षा कर स्वागत-सम्मान किया, जिससे इस यात्रा की भव्यता और भी बढ़ गई।

रणजीता स्टेडियम पहुँचने पर पदयात्रा का समापन एक भव्य समारोह के साथ हुआ, जहाँ वक्ताओं ने बिरसा मुंडा के संघर्षमय जीवन और जनजातीय समाज के अटूट योगदान को याद किया। इस आयोजन का उद्देश्य केवल सांस्कृतिक परंपराओं का आदर करना ही नहीं था, बल्कि जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत और उनकी बहुमूल्य धरोहर को संजोने और संरक्षित करने का संदेश देना भी था।