रायपुर। “सूर सूर तुलसी शशि उडग्गन केशवदास, अबके कवि खाद्योत सम जहां तहां करे प्रकाश।” सूरदास के संदर्भ में यह यूं ही नहीं कहा गया, हिंदी साहित्य में भक्तिकाल में सूरदास को सम्राट की उपाधि दी गई है। कृष्णलीला के पद गाने वाले इस कवि का जन्म सीही नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता रामदास गायक हुआ करते थे। लोगों द्वारा ऐसा कहा जाता है कि सूरदास जन्मांध थे पर इस बात की लेकर आज भी मतभेद है।
सूरदास के गुरु वल्लभाचार्य थे जिनसे उनकी मुलाकात आगरा में गऊघाट में हुई थी। भ्रमरगीत, सूरसागर उनकी कुछ प्रमुख रचनाओं में से हैं। उनकी मृत्यु सन् 1563 गोवर्धन के पास पारसौली ग्राम में हुई थी।