कांग्रेस के एजेंडे में विकास नहीं, सिर्फ छलावा और राजनीतिक नाटक : अरुण साव
रायपुर: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच घोषणा पत्र को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भाजपा के घोषणा पत्र को “झूठ का पुलिंदा” करार दिया, वहीं उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस के आगामी घोषणा पत्र पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह “जनता की आंखों में धूल झोंकने” वाला होगा। दोनों ही दलों ने एक-दूसरे पर वादाखिलाफी और जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया, जिससे चुनावी सरगर्मी और अधिक बढ़ गई है।
भाजपा के घोषणा पत्र पर कांग्रेस का हमला
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भाजपा के घोषणा पत्र को “ढकोसला और झूठ का पुलिंदा” बताते हुए कहा कि भाजपा जनता को ठगने की रणनीति के तहत झूठे वादों के सहारे चुनावी मैदान में उतरी है। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा,
“जब तक अटल बिहारी वाजपेयी जी जीवित थे, तब तक भाजपा ने उन पर भरोसा नहीं किया, अब उनके नाम पर राजनीति कर रही है।”
इसके साथ ही उन्होंने मोदी गारंटी पर सवाल उठाते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“भाजपा का विधानसभा चुनाव का घोषणा पत्र आज तक पूरा नहीं हुआ, लेकिन अब नगरीय निकाय चुनाव में फिर जनता को झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं। क्या मोदी गारंटी का भी यही हाल होने वाला है? भाजपा की विश्वसनीयता पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।”
कांग्रेस के घोषणा पत्र पर भाजपा का पलटवार
वहीं, उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस के आगामी घोषणा पत्र पर हमला बोलते हुए इसे “धूल झोंकने वाला दस्तावेज” करार दिया। उन्होंने कांग्रेस पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा,
“कांग्रेस के घोषणा पत्र की कल्पना और सच्चाई से सभी वाकिफ हैं। कांग्रेस ने पिछले पांच वर्षों में 36 बड़े वादे किए थे, लेकिन एक भी पूरा नहीं हुआ। यह पार्टी सिर्फ छलावे और झूठ का सहारा लेकर जनता को गुमराह करने में लगी रहती है।”
इसके अलावा, अरुण साव ने कांग्रेस पर “भाजपा की नकल करने” का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा,
“कांग्रेस का कभी विकास का विजन नहीं रहा है। वे भाजपा की नीतियों की नकल कर रहे हैं और अब उसी को अपने घोषणा पत्र में डालकर जनता की आंखों में धूल झोंकने की तैयारी कर रहे हैं।”
चुनावी जंग और बढ़ी, दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप तेज
घोषणा पत्र को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच छिड़ी इस सियासी जंग ने नगरीय निकाय चुनाव को और अधिक रोचक बना दिया है। एक ओर जहां कांग्रेस भाजपा पर अधूरे वादों और जुमलों की राजनीति करने का आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा कांग्रेस पर विकास विरोधी मानसिकता और झूठे वादों के सहारे चुनाव लड़ने का तंज कस रही है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि जनता इस सियासी घमासान में किसे ज्यादा भरोसेमंद मानती है और क्या इस बार कोई भी पार्टी अपने चुनावी वादों को हकीकत में बदल पाएगी या नहीं।