लोकसभा में गूंजा चुनावी निष्पक्षता का मुद्दा, TMC सांसद ने चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप, कार्रवाई की उठाई मांग

नई दिल्ली:  लोकसभा में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद कल्याण बनर्जी ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में आयोग निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने में पूरी तरह विफल रहा है। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बोलते हुए, बनर्जी ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों और डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्रों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पहले इस मामले को उजागर किया था और इसे चुनाव नियमों का स्पष्ट उल्लंघन बताया था।

कल्याण बनर्जी ने लोकसभा में दावा किया कि पश्चिम बंगाल में मतदाताओं की संख्या में अचानक हुई वृद्धि संदेहास्पद है और यह चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि मतदाता गुजरात और हरियाणा जैसे अन्य राज्यों से आ रहे हैं और पश्चिम बंगाल में मतदान कर रहे हैं, जो अस्वीकार्य है। टीएमसी सांसद ने मतदाता सूची की त्रुटियों को चुनाव नियमावली के नियम 20 का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह समस्या हाल के वर्षों में अधिक गंभीर हुई है, जबकि पहले ऐसा नहीं देखा गया था।

उन्होंने चुनाव आयोग के निष्पक्षता के दावों को खारिज करते हुए कहा कि आयोग बार-बार यह दावा करता रहा है कि उसने पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव कराए हैं, लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली की गहन जांच होनी चाहिए और उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस मुद्दे पर उठे विवाद के बाद चुनाव आयोग ने सफाई देते हुए कहा कि कुछ मतदाताओं के चुनावी फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन उनके अन्य विवरण जैसे जनसांख्यिकीय जानकारी, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र अलग-अलग हो सकते हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की गई है, जिससे बाहरी राज्यों के लोग पश्चिम बंगाल में मतदान कर सकें। चुनाव आयोग ने यह आश्वासन दिया कि डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्रों की समस्या को हल करने के लिए अगले तीन महीनों में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इस मामले में चुनाव आयोग की जवाबदेही तय करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की आधारशिला हैं और अगर चुनावी प्रक्रिया पर संदेह बना रहेगा, तो लोकतंत्र की नींव कमजोर होगी। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची की पारदर्शिता और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर राजनीतिक दलों के बीच बहस और तेज हो सकती है।