विधानसभा में गूंजा बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण का मामला, विपक्ष ने किया सरकार पर प्रहार

रायपुर :  छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राजधानी रायपुर के प्रसिद्ध बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण का मुद्दा सदन में सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा जोर-शोर से उठाया गया। नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव को इस मुद्दे पर विपक्ष ने आड़े हाथों लिया और कई गंभीर सवाल खड़े किए।

भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने सबसे पहले नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव से सवाल किया कि बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण पर खर्च की जाने वाली राशि किन-किन मदों से खर्च हुई है। जवाब में मंत्री अरुण साव ने कहा कि सभी कार्य स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हुए हैं। इस जवाब से संतुष्ट न होते हुए अजय चंद्राकर ने यह आरोप लगाया कि इसके लिए पर्यटन मंडल, नगर निगम, और स्मार्ट सिटी की अलग-अलग मदों से राशि खर्च की गई है। उन्होंने इस खर्च की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हुए मामले की जांच कराने की मांग की।

मामला यहीं नहीं थमा। भाजपा विधायक राजेश मूणत ने भी मंत्री को घेरते हुए कहा कि तीन अलग-अलग एजेंसियों द्वारा बूढ़ा तालाब के सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया है। उन्होंने विशेष रूप से 6 करोड़ रुपये की लागत से लगाए गए फाउंटेन का मुद्दा उठाया, जो वर्तमान में बंद पड़ा है। राजेश मूणत ने जोर देकर कहा कि भारी राशि खर्च होने के बावजूद कार्य संतोषजनक नहीं है और इसकी विस्तृत जांच आवश्यक है।

स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत रायपुर का बूढ़ा तालाब शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों और स्थानीय आकर्षणों में से एक है। इसके सौंदर्यीकरण के नाम पर पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों की राशि खर्च की गई है। लेकिन सदन में उठे सवालों ने कार्यों की प्रगति और गुणवत्ता पर गंभीर बहस को जन्म दे दिया है।

अजय चंद्राकर और राजेश मूणत दोनों ही विधायकों ने सरकार पर तीखे सवाल दागते हुए इस बात पर जोर दिया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा किए गए कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता की भारी कमी देखी जा रही है। विशेषकर फाउंटेन जैसी योजनाएं जो करोड़ों की लागत से बनाई गईं, वे उचित रखरखाव के अभाव में बेकार साबित हो रही हैं।

विपक्ष ने बूढ़ा तालाब सौंदर्यीकरण मामले में सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे जनता के पैसे की बर्बादी बताया और इसके लिए ठोस जांच की मांग की। जवाब में मंत्री अरुण साव ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किए गए कार्यों की परीक्षण कराने पर विचार किया जाएगा ताकि सही स्थिति सामने लाई जा सके।

यह मामला आगामी दिनों में और राजनीतिक तूल पकड़ सकता है क्योंकि विपक्ष ने इसे स्थानीय विकास से जुड़ा अहम मुद्दा बताते हुए सरकार से स्पष्टीकरण की मांग जारी रखी है। बूढ़ा तालाब की दुर्दशा और फिजूलखर्ची के आरोपों के बीच अब सरकार पर काम की पारदर्शिता और जिम्मेदारी तय करने का दबाव बढ़ गया है।