सरकारी हेल्थ सिस्टम खुद बीमार है,इलाज को मोहताज है,तभी तो निजी अस्पतालों की सुनाई आई हुई है
सुविधा विहीन चिकित्सा व्यवस्था में निजी मेगा हेल्थ कैंप आम आदमी के लिए बहुत बड़ी राहत,बधाई राजेश मूणत
जिस प्रदेश के 9 जिला अस्पतालों में आईसीयू ,12 में सिटी स्कैन मशीनें न हो, एमआरआई,डायलिसिस की सुविधा न हो,तो क्या उस प्रदेश का मरीज निजी अस्पताल की ओर रुख नहीं करेगा?
आखिर राज्य गठन के इन पच्चीस सालों बाद भी अगर हमारे प्रदेश को सर्वसुविधायुक्त सरकारी अस्पताल उपलब्ध न हो तो विज्ञापन के बड़े बड़े दावों की पोल खुलती नजर आती है।विकास के चमकदार होर्डिंग सरकार की इमेज चमकाते नहीं बल्कि उसकी इमेज पर कालिख पोतते नजर आती है।आखिर इन पच्चीस सालों में आम आदमी की भोजन के बाद की सबसे बड़ी जरूरत स्वास्थ्य सेवा के मामले में सरकार ने किया ही क्या है?
तीन हजार करोड़ से शुरू हुआ बजट अब लाखों करोड़ों में पहुंच गया है।आखिर इतना बजट जाता कहां है?इतने सालों में एक भी सरकारी अस्पताल को क्यों सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं बनाया जा सका?क्यों एक भी सरकारी अस्पताल निजी अस्पतालों जैसा विश्वास हासिल नहीं कर पाया?क्यों इस प्रदेश के आम आदमी को सस्ती सरकारी स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पा रही है?क्यों वो मजबूरी में बूचड़खानों में कटने को मजबूर है?
क्या सरकार राजधानी के सरकारी अस्पताल की मशीन भी ठीक नहीं करवा पा रही है?इमेज चमकाने वाले बड़े बड़े खर्चीले इवेंट की जगह सरकारी अस्पतालों को ही ठीक करा ले,तो लोग सरकार की जय जयकार करते नहीं थकेंगे।वरना जो भी सरकारी अस्पताल से निराश होकर निकलता है उसके मुंह से जो गालियां की सुनामी निकलती है वो सुनोगे तो कान में पिघलता लावा घुस जाएगा।
और ऐसी बीमार सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं वाले राज्य #छत्तीसगढ़ की राजधानी #रायपुर में अगर एक पूर्वमंत्री/विधायक Rajesh Munat राजेश मूणत अगर मेगा हेल्थ कैंप का आयोजन करते है तो वो तपते रेगिस्तान में नखलिस्तान की शीतलता सी राहत देता नजर आता है।बहुत बहुत बधाई राजेश मूणत।जनता को अब आपसे ही उम्मीद है,और उम्मीद है आपके हेल्थ कैंप को देख कर अन्य जनप्रतिनिधि भी अपने इलाको में हेल्थ लगाए ताकि कुछ तो शर्म आए जिम्मेदार सोए हुए लोगों को।
