“जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों का निर्णायक तीसरा चरण: 39 लाख मतदाता करेंगे अपने मत का प्रयोग, जानें महत्वपूर्ण पहलू”

J&K विधानसभा चुनाव : जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का तीसरा और अंतिम चरण आज, 1 अक्तूबर को आयोजित किया जा रहा है, जिसमें लगभग 39 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस चरण में 40 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा, जिनमें जम्मू संभाग की 24 और उत्तर कश्मीर घाटी की 16 सीटें शामिल हैं। यह चुनाव 10 वर्षों बाद हो रहे हैं, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। इस बार कुल 415 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिनमें से 41 प्रतिशत करोड़पति हैं।

चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए कुपवाड़ा, बारामुला, बांदीपोरा, उधमपुर, सांबा, कठुआ और जम्मू के सात जिलों में 5,060 मतदान केंद्र स्थापित किए हैं। यहां 20,000 से अधिक मतदान कर्मचारियों को तैनात किया गया है। खासतौर पर महिला मतदाता, दिव्यांग और युवा मतदाताओं के लिए विशेष केंद्रों का निर्माण किया गया है, जिनमें पिंक स्टेशनों, दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक मतदान केंद्र और युवाओं के लिए ग्रीन मतदान केंद्र शामिल हैं।

आंकड़ों के अनुसार, इस चरण में 39,18,220 मतदाता मतदान करने के लिए पात्र हैं, जिसमें 20,09,033 पुरुष, 19,40,092 महिलाएं और 57 अन्य मतदाता शामिल हैं। खास बात यह है कि इस बार 18 से 19 साल के 1.94 लाख युवा मतदाता भी पहली बार वोट डालने के लिए तैयार हैं। इसके अतिरिक्त, 35,860 दिव्यांग और 85 साल से ऊपर के 32,953 मतदाता भी मतदान करेंगे।

उम्मीदवारों की प्रोफाइल की बात करें, तो एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 415 में से 28 (लगभग 7%) महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। सबसे अमीर उम्मीदवारों की सूची में देवेंद्र सिंह राणा शामिल हैं, जिनकी संपत्ति 126 करोड़ रुपये है। वहीं, शब्बीर अहमद (53 करोड़ रुपये) और ताज मोहिउद्दीन (51 करोड़ रुपये) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।

शैक्षणिक योग्यता के संदर्भ में, 415 उम्मीदवारों में से 214 (52%) स्नातक या उससे अधिक डिग्री धारक हैं, जबकि 187 (45%) उम्मीदवारों ने अपनी योग्यता 5वीं से 12वीं कक्षा के बीच बताई है।

यह चुनाव कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनः स्थापित करने का प्रयास हैं। नतीजे 8 अक्तूबर को घोषित किए जाएंगे, जिससे यह स्पष्ट होगा कि प्रदेश के राजनीतिक भविष्य का रास्ता किस दिशा में जाएगा।