भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर वार्ता फिर से शुरू, जल्द होगी अहम बैठक

नई दिल्ली:  ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद, ब्रिटेन ने भारत के साथ अधर में पड़े मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत फिर से शुरू करने की घोषणा की। इस महत्वपूर्ण घोषणा के बाद, दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता को गति देने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय बैठक होने की संभावना है।

सूत्रों के अनुसार, ब्रिटेन के व्यापार मंत्री डगलस अलेक्जेंडर अगले सप्ताह भारत का दौरा करेंगे और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ मुलाकात करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य वार्ता को दोबारा सक्रिय करना और व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में ठोस कदम उठाना होगा। इस मुक्त व्यापार समझौते का उद्देश्य टैरिफ कम करना, व्यापारिक अवसरों को बढ़ावा देना और दोनों देशों के व्यापारिक समुदाय के लिए सुगमता सुनिश्चित करना है।

भारत-ब्रिटेन FTA: एक लंबी प्रतीक्षा

भारत और ब्रिटेन के बीच FTA वार्ता पिछले कुछ वर्षों से ठप पड़ी थी। 2022 में दोनों देशों ने इस समझौते को जल्द पूरा करने की मंशा जताई थी, लेकिन मतभेदों के चलते यह वार्ता रुक गई थी। प्रमुख मुद्दों में माल, सेवाएं, बौद्धिक संपदा अधिकार, निवेश प्रोत्साहन और पेशेवरों की आवाजाही से जुड़े विभिन्न पहलू शामिल थे। हालांकि, हाल ही में ब्रिटेन की नई सरकार के सत्ता में आने के बाद इस समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं, जिससे व्यापारिक समुदाय में उत्साह बढ़ा है।

FTA वार्ता में किन बिंदुओं पर होगी चर्चा?

ब्रिटेन और भारत एक व्यापक व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि वस्त्र, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पाद, सेवाएं, तकनीकी सहयोग और निवेश प्रोत्साहन को कवर करेगा। इस समझौते से दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को मजबूती मिलेगी और द्विपक्षीय निवेश में वृद्धि होगी।

  1. टैरिफ और बाजार पहुंच: भारत और ब्रिटेन अपने-अपने बाज़ारों में एक-दूसरे के उत्पादों और सेवाओं को आसान पहुंच देने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। ब्रिटेन की कंपनियां भारतीय बाजार में कम टैरिफ के साथ प्रवेश चाहती हैं, जबकि भारत भी ब्रिटेन में अपने निर्यात को बढ़ाना चाहता है।

  2. सेवा क्षेत्र और पेशेवरों की आवाजाही: भारत चाहता है कि उसके आईटी और सेवा क्षेत्र के पेशेवरों को ब्रिटेन में अधिक अवसर मिलें। इसके अलावा, भारतीय छात्र और पेशेवरों के लिए वीज़ा नियमों को आसान बनाने की मांग भी इस वार्ता का अहम हिस्सा होगी।

  3. निवेश और व्यापार अवसर: ब्रिटिश कंपनियां भारत में निवेश को लेकर रुचि दिखा रही हैं, विशेष रूप से फिनटेक, ई-कॉमर्स, डिजिटल ट्रेड, ऊर्जा और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में। भारत भी ब्रिटिश निवेशकों को आकर्षित करना चाहता है।

  4. बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और नियमों में सामंजस्य: दोनों देशों के बीच व्यापार में पारदर्शिता और कानूनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए बौद्धिक संपदा से जुड़े नियमों पर सहमति बनाने की कोशिश होगी।

FTA से भारत और ब्रिटेन को क्या लाभ होगा?

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

  • ब्रिटेन को लाभ: ब्रेक्सिट के बाद, ब्रिटेन नए व्यापार साझेदारों की तलाश कर रहा है। भारत के साथ FTA उसे एक विशाल उपभोक्ता बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा। ब्रिटेन की कंपनियां भारत में ऑटोमोबाइल, हेल्थकेयर, वित्तीय सेवाओं और ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में निवेश बढ़ा सकती हैं।
  • भारत को लाभ: भारतीय उत्पादों, विशेष रूप से टेक्सटाइल, फार्मा, आईटी और कृषि उत्पादों को ब्रिटेन में बेहतर बाजार पहुंच मिलेगी। साथ ही, ब्रिटेन में भारतीय पेशेवरों और श्रमिकों के लिए अवसर बढ़ेंगे।

ब्रिटिश व्यापार संगठनों की राय

UK-India Business Council (UKIBC) के अध्यक्ष रिचर्ड हील्ड ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच FTA एक परिवर्तनकारी कदम साबित हो सकता है, क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। हील्ड के अनुसार, यह समझौता व्यापारिक सुगमता, व्यापारिक लागतों में कमी और दोनों देशों के उद्यमियों को नए अवसर प्रदान करेगा।

आगे की राह

ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने स्पष्ट किया है कि FTA वार्ता को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की कोशिश की जाएगी। डगलस अलेक्जेंडर और पीयूष गोयल की आगामी बैठक के बाद, दोनों देशों के व्यापार प्रतिनिधि वार्ता को अगले चरण में ले जाने के लिए आगे की रणनीति तैयार करेंगे।

इस व्यापार समझौते से भारत और ब्रिटेन के आर्थिक रिश्तों को मजबूती मिलेगी और दोनों देशों को वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद मिलेगी। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले महीनों में वार्ता कितनी तेज़ी से आगे बढ़ती है और क्या दोनों देश इस ऐतिहासिक समझौते पर मुहर लगाने में सफल होते हैं।