“धर्म और पराक्रम का प्रतीक: गोरखपुर और काशी में विजयादशमी की पवित्र परंपराएं पूरी”

उत्तर प्रदेश :  आज पूरे देश में विजयादशमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के हर कोने में इस महापर्व की धूम है, और विशेष रूप से गोरखपुर और काशी में यह पर्व ऐतिहासिक और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक बनकर उभरा है। गोरखपुर में गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरखनाथ और मठ में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं का पारंपरिक रूप से पूजन किया। यह पूजन दशहरा के अवसर पर मठ की परंपरा के अनुसार सम्पन्न हुआ।

योगी आदित्यनाथ ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर इस पूजन के अनुभव को साझा किया। उन्होंने लिखा, “ॐ नमो भगवते गोरक्षनाथाय! विजयादशमी के पावन अवसर पर आज @GorakhnathMndr में श्री गोरक्षपीठ की परंपरानुसार शिवावतारी महायोगी गुरु श्री गोरखनाथ जी का विशिष्ट पूजन किया। श्रीनाथ जी की कृपा सभी पर बनी रहे, सभी का कल्याण हो।” इस संदेश के माध्यम से उन्होंने सभी श्रद्धालुओं के प्रति आशीर्वाद और मंगलकामनाएं प्रकट की। इसके साथ ही, गोरखनाथ मंदिर के परिसर में विद्यमान विभिन्न देवी-देवताओं के विग्रहों की विशेष पूजा-अर्चना की गई। यह पूजा विधिवत रूप से संपन्न की गई और लोक-मंगल तथा समृद्धि की कामना की गई।

देशभर में विजयादशमी के इस पावन पर्व पर शस्त्र पूजन की परंपरा भी निभाई गई। यह परंपरा शक्ति, साहस और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर में भी शस्त्र पूजन का आयोजन पारंपरिक रूप से सम्पन्न हुआ। काशी के बाबा विश्वनाथ धाम में स्थित मुख्य चौक में शस्त्र पूजन की विधि सम्पन्न की गई। इस कार्यक्रम में मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विश्वभूषण मिश्रा, ने बाबा विश्वनाथ के शस्त्रों—त्रिशूल, गदा, तलवार, तीर-धनुष आदि—का पूजन किया। यह आयोजन शक्ति की पूजा का प्रतीक है, जो विजयादशमी के महत्त्व को और भी सशक्त करता है।

विजयादशमी का यह पर्व देशभर में बुराई पर अच्छाई की विजय, शक्ति की आराधना, और धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। आज के दिन न केवल रावण दहन का आयोजन होता है, बल्कि शक्ति और साहस के प्रतीक शस्त्रों का पूजन भी किया जाता है, जो भारतीय संस्कृति में शौर्य और पराक्रम की महत्वपूर्ण धरोहर है। गोरखपुर और काशी में सम्पन्न पूजन ने एक बार फिर से इस परंपरा को नए उत्साह के साथ जीवंत किया है।

विजयादशमी के इस पर्व पर गोरखपुर की गोरक्षपीठ और काशी विश्वनाथ मंदिर में सम्पन्न धार्मिक क्रियाएं न केवल आध्यात्मिक आस्था को बल देती हैं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर की महत्वपूर्ण कड़ी भी हैं। ये परंपराएं भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनती रहेंगी।